धधक धधकती ज्वालाएं भी चन्दन सम शीतल बन जाती हो,
मन्त्र मुग्ध हो सारी जनता जिनके चरणों मे नत मस्तक हो जाती हो,
रत्नत्रय के धारी गरुवर आप सर्व गुणों से मण्डित हो,
एक एक पुराण के आप पारायण पंडित हो,
अरे लेकर सन्मति सागर जी से दीक्षा ओर लाय ज्ञान कोष का गागर
जुग जुग जिओ इस धरती पर मेरे गरुवर सुनिलसागर🙏
युवामहाऋषी श्री सुनिलसागर जी का अवतरण दिवस हजारो गुरुभक्त श्रावको द्वारा भक्ति पूर्वक मनाया जाएगा-
युगश्रेष्ठ आचार्यशीरोमणि महातपोमार्तण्ड तृतीय पट्टाचार्य श्री सन्मति सागर जी महायतीश्वर के उत्कृष्ट नन्दन चतुर्थ पट्टाचार्य युवामहाऋषी श्री सुनिलसागर जी गुरूराज का वागड का सम्मेदाचल श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ जी तीर्थ क्षेत्र में 45वा अवतरण दिवस दिनांक 7 ऑक्टोम्बर 2021 को मनाया जाएगा💐👏
21वी सदी के जग पूज्य महागुरु का संक्षिप्त परिचय-
जन्म-7 ऑक्टोम्बर सन 1977 ग्राम तिगोड़ा,जिला सागर मध्य प्रदेश
पिता-सेठ भागचंद जी,माता-मुन्नी देवी,जन्म नाम-सन्दीप सेठ
शिक्षा में अत्यंत मेघावी,एक बार पढ़ते ही पूरी पुस्तक ज्ञान में समाहित हो जाती थी,शिक्षा के प्रति पुरुषार्थ व जुनून ऐसा की दिन सातवी कक्षा के बाद में दो ‘एक लौकिक शिक्षा का विद्यालय व दूसरा धर्म भाषा का विद्यालय’दोनो विद्यालय क्रमशः समयानुसार सुबह 6 से 12 तो 1 से शाम 6 बजे तक एक एक किलोमीटर नित्य पैदल कच्चे रास्ते पर चलकर जाते थे।
एक होनहार विद्यार्थी के रूप में एमकॉम तक शिक्षा पूर्ण की,बह्मचारी अवस्था मे आपने मर्यादाशिष्योत्तम आचार्य श्री भरतसागर जी यतिराज से ज्ञानार्जन प्राप्त किया
कठिन मेहनत व अटल इरादों से ही लक्ष्य की प्राप्ति होती है ये सूत्र आपका प्रमुख गुण है
जो वैराग्य के बीज अंकुरित थे वह इस युग के अनूठे तपस्वी तृतीय पट्टाचार्य श्री सन्मति सागर जी भगबन्त की श्रेष्ठ चर्या-ज्ञान-ध्यान साधना के दर्शन से वीतरागता के पथ पर चलकर मुनि बनने के लक्ष्य की ओर लालायित हो उठे
सन 1997 में झांसी के बरुआसागर स्थित गणेश प्रसाद वर्णी जी विद्यालय में तपस्वी सम्राट श्री सन्मति सागर जी के अतिशय तपस्वी हस्तो से 19 वर्षीय युवा सन्दीप को मुनि दीक्षा दी गयी ओर बने मुनि सुनील सागर जी
एक युगश्रेष्ठ महा सन्त के पवित्र संस्कारो व अनुशासन में सुनिलसागर नामक रत्न कोहिनूर के समान निखरने लगा व भावी धर्म सूर्य के रूप में तपने लगे
विलक्षण ज्ञान धारी आचार्य श्री सुनिलसागर जी को 5 भाषाओ व अति प्राचीन ब्राह्मी लिपि में दक्षता के साथ जैनागम की 20000 गाथाएँ आपको कंठस्थ है
गुरु तपस्वी सम्राट भगवन्त ने योग्य होनहार मुनि सुनिलसागर जी को सन 2007 में ओरंगाबाद नगरी में आचार्य पद पर सुशोभित किया
21वी सदी में मुनि धर्म की वीतरागता,निस्पृहता,उत्कृष्ट चर्या व सन्तो के विशाल संघ की वल्लभता-कुशलता को जीवन्त रखने में सक्षम जानकर तपस्वी सम्राट भगवन्त ने समाधि से पूर्व लिखित सन्देश के माध्यम से श्री आदिसागर अंकलिकर परम्परा का अगला उत्तराधिकारी अर्थात चतुर्थ पट्टाचार्य घोषित किया
ये महान पूर्वाचार्यो के महान संस्कारो व उनके गौरव की गरिमा को विश्व शिखर तक पहुचाने का एक सन्त के पवित्र लक्ष्य का ही परिणाम है कि परम्पराजनक गुरुणामगुरु प्रथम पट्टाचार्य श्री आदिसागर जी अंकलिकरस्वामी व उनके सुशिष्य द्वितीय पट्टाचार्य तीर्थभक्त शिरोमणि श्री महावीरकीर्ति जी भगवन्त, वात्सल्यरत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी भगवन्त व तृतीय पट्टाचार्य श्री सन्मति सागर जी भगवन्त की तरह सम्पूर्ण विश्व मे अहिंसामयी जैन दर्शन का अपनी ओजस्वी वाणी,पवित्र चर्या,कठोर साधना,विशाल सन्त संघ का कुशल नेतृत्व,आडम्बर रहित निस्पृहि प्रवत्ति के साथ पंथवाद व मत वाद से दूर रहकर समाज को सँगठित रखने के मनोभाव के साथ गौरव बढा रहे है।
ऐसे जन जन के आराध्य,युवा ह्रदय सम्राट,सभी जीवों के प्रति समता करुणा भाव रखने वाले संयम भूषण चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरूराज का 45 वा अवतरण दिवस वागड के सम्मेदाचल श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ जी की धरा पर युवासंघ की शाखाओं व हजारो भक्तो की उपस्थिति में दिनांक 7 ऑक्टोम्बर को श्री सुनीलसागर युवासंघ भारत द्वारा श्री श्रेणीक भूता की अगुवाई में प्रातः 4 बजे गुरु पूजा भक्ति की जाएगी व दोपहर 1 बजे से श्री समाज कुशलगढ़ के तत्वाधान व सम्पूर्ण देश से पधारने वाले गुरु भक्तो की उपस्थिति में विभिन्न भक्ति कार्यक्रम किये जाएंगे
श्री सुनिलसागर युवासंघ भारत की समस्त शाखाओं के सदस्य जन व देश के सभी गुरु चरणसेवक भक्त जन 7 ऑक्टोम्बर को विश्व विख्यात अतिशय क्षेत्र श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ जी जिला-बांसवाड़ा राजस्थान में सादर आमन्त्रित है
✍शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी✍