अशोकनगर। राजस्थान के बिजोलिया तीर्थ पर विराजमान मुनि पुगंव सुधासागरजी महाराज का ससंघ पिच्छिका परिवर्तन समारोह के लिए नगर के दिगम्बर जैन युवा वर्ग की 125 सदस्यीय टीम बिजोलिया पहुंची। जहां भव्य समारोह मेें हजारों लोगों के समक्ष पिच्छिका परिवर्तन की प्रस्तुति दी। पिच्छिका परिवर्तन में धार्मिक सांस्कृतिक के साथ राष्ट्र भक्ति की भी झलक भी दिखाई दी।
युवाओं द्वारा पिच्छिका लाने के लिए प्रस्तुत की गई पांच झांकियों में से दो झांकियां राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत रहीं जिन्हें लोगों द्वारा काफी सराहा गया। समारोह का शुभारंभ नगर की बालिकाओं द्वारा मंगलाचरण नृत्य के साथ किया गया। मधुर संगीत के साथ संचालन शैलेन्द्र श्रंृगार व विजय धुर्रा ने किया।
प्रथम झांकी किशनजी की मढिय़ा की प्रस्तुत की गई जिसके माध्यम से क्षुल्लक धैर्यसागरजी की पिच्छिका लाई गई। युवा वर्ग द्वारा समारोह को मेवाड़ संस्कृति व इतिहास के साथ जोड़कर प्रस्तुति देने का प्रयास किया गया।
कमठ ने किया उपसर्ग नाग नागिन लाए पिच्छी
मुनि पुगंव सुधासागरजी महाराज की पिच्छी को तपोदय तीर्थ पर भगवान पारसनाथ स्वामी पर हुये कमठ के उपसर्ग की पौंराणिक कथा से जोड़कर प्रस्तुत किया गया। जिसमें धरणेन्द्र व पदमावति नाग नागिन के रूप में पिच्छी को लेकर आए। नाग के बीच में से जब देवी के रूप में पिच्छी लेकर निकली तो पांडाल जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
विग कमांडर अभिनंदन विमान से लाए पिच्छी
वायु सैनिक विग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के साथ विमान द्वारा पिच्छिका लाने की राष्ट्रभक्ति से जोड़कर भव्य प्रस्तुति दी गई। इस दौरान उनके विमान के पाकिस्तान मेे गिरने का चित्रण किया गया तथा उनके ऊपर मुनिश्री के प्रवचनों ने पांडाल में भक्तों को गद-गद कर दिया। इसके अलावा पंचकल्याणक महोत्सव व कर्नाटक महाराष्ट्र की बाढ़ त्रासदी से जोड़कर झांकियों की प्रस्तुति दी गई।
पिच्छी परिवर्तन सात पीढिय़ां याद करेंगी
मुनिश्री सुधासागरजी महाराज ने समारोह का संबोधित करते हुए बताया कि तपोदय तीर्थ क्षेत्र का पिच्छी परिवर्तन आपकी सात पीढिय़ां याद करेगीं। यह उपकरण उन जीवों की रक्षा करता है जिन जीवों को कोई पूछता नहीं। पिच्छी उन जीवों को बचाती है जिन जीवों को दुनिया कुचलती है जिन्हें दुनिया देखकर मारती है उन्हें पारसनाथ ने बचाया था। जो पिच्छी भक्तो को प्रदान की गई है उस पिच्छी ने असंख्यात जीवों की रक्षा की है।