परम पूज्य जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर जी * *श्रीजिनागमपंथजयवंत हो
प,पू० जीवन है पानी की बूंद महाकाव्य के मूल रचयिता जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिंगी श्रमणाचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के अज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री विशुभ्र सागर जी. मुनि श्री विशवांक सागर जी.मुनि श्री विशवार्क सागर जी के सानिध्य में आज गुरु पूर्णिमा पर श्री 1008 अजीत नाथ मंदिर कमेटी द्वारा बडौतमे अजीतनाथ सभागार में धूमधाम के साथ मनाया गया
पावन अवसर पर गुरुदेव का पूजन व् पाद प्रक्षालन और चित्र अनावरण दीप प्रजलन शास्त्र भेट से सभा का शुभारंभ हुआ जिसमें बच्चों के द्वारा सुंदर नृत्य नाटिका की गई जिसमें महाराज श्री ने गुरु पूर्णिमा पर गुरु की महत्व बताते हुए संबोधन किया आज जिसके जीवन में गुरु नहीं है उसका जीवन बेकार है जब तक जीवन में गुरु नहीं बनाओगे तो आप मोक्ष मार्ग की तरफ नहीं जा सकते गुरु के बताए रास्ते पर चलने से आत्मा शांति भाव में निर्मलता दूसरों के प्रति समर्पण भाव उत्पन्न होते हैं
जिसमें अजीत नाथ मंदिर कमेटी और जैन संस्थाओं द्वारा अर्ध अर्पण की गई जिसमें कमेटी अध्यक्ष सुभाष चंद्र जैन अशोक जैन प्रमोद जैन राजकुमार जैन जिनेंद्र जैन संदीप जैन सुधीर जैन विमल जैन राकेश जैन रिंकू जैन बिजेंदर जैन कमेटी के सब पदाधिकारी रहे