देखें वीडियो
नई दिल्ली। साक्षात जीवंत तीर्थ सर्वोच्च महाऋषि श्री सम्भवसागर जी महागुरु की भव्य भक्ति पूर्वक आराधना करके उनके समक्ष ही लिए कठोर व्रत साधना का संकल्प
जैन दर्शन का अतिपवित्र तीर्थराज सम्मेदशिखर जी में आज दिनांक 20 जुलाई को उग्र तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी गुरूराज ने वर्तमान में *सबसे ज्येष्ठ पूज्यवर “स्थिवराचार्य श्री सम्भवसागर जी महायतिवर” के समीपस्थ जाकर उनके चरण पक्षाल ,पूजा व आचार्य भक्ति करके कठोर व्रत साधना के संकल्प ग्रहण किये जिस पर पूज्य स्थिवराचार्य ने उन्हें निर्विध्न समता भाव पूर्वक व्रत साधना के लिए शुभाशीष दिया।
पूज्य अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी गुरुदेव की यह अत्यंत कठोर व्रत साधना 21 जुलाई 2021 से प्रारम्भ होगी व 23 जनवरी 2023 को पूर्ण होगी जिसमे वह 496 उपवास व 557 दिनों की अखंड मौन साधना करेंगे।
अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी गुरुदेव को इस महान साधना के लिए स्वाध्याय तपस्वी वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज व संयम भूषण चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज ने शुभाशीष पूर्वक मंगलभावना प्रेषित की है।
दिगम्बर जैन सन्तो द्वारा आत्मकल्याण के नेक उद्देश्य के लिए की जाने वाली इस अनूठी साधना व अद्वितीय आत्मबल से विश्व विज्ञान भी आश्चर्य चकित होता है।