अतिशय सिद्ध क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र में आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि संयमी का जीवन सोने की तरह शुद्ध है। अगर कोई आपके अच्छे कार्य पर भी संदेह करता है तो करने दीजिए क्योंकि एक संदेह सोने की शुद्धता पर किया जाता है, कोयले की कालिख पर नहीं। त्यागी व्रती और धर्मात्मा व्यक्ति सामान्य लोगों के लिए आदर्श होता है। , मानव जीवन में आप सोने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और सोने को ही लोग परखते हैं। कोयले को नहीं बनने कि दिशा में रखना परखा जाता है। आचार्य ने कहा कि स्वच्छंद लोगों की संगति नहीं करना चाहिये क्योंकि स्वच्छंद प्रवृत्ति वाले घायल हिरण की तरह हैं। जो अपनी क्रिया भी सही ढंग से नहीं कर पाते है। इसलिए मुनी, त्यागीजन को अपने से ज्यादा श्रेष्ठ चर्या में उत्कृष्ठ, प्रज्ञावान की संगति करनी चाहिए। इसलिए श्रेष्ठ साधकों और अच्छे लोगों की संगति करना चाहिए।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी