श्री विमल-सन्मति-विराग गुरु के विलक्षण महासाधक आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी गुरूराज संयम पथ पर बढ़ने वाले दिक्षार्थीयो की अनुमोदना स्वरूप दीक्षार्थियों की ली पड़गाहन विधि

Acharya Shri Vishuddha Sagar ji

15 ऑक्टुबर 2021 को विश्व विख्यात अतिशय क्षेत्र में राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज के करकमलों से अनेको दीक्षा सम्भावित है जिसमे संघ के ब्रह्म. दिक्षार्थी अभी शाश्वत तीर्थराज शिखरजी की व अनेक गुरु भगवन्तों के आशीष हेतु यात्रा पर है
कल दिनांक 11 अगस्त को वे दिक्षार्थी भव्यात्मा आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी भगवन्त ससंघ के दर्शन,वन्दना व आहार सेवा में सलग्न थे तो पूज्य आचार्य श्री ने इन्ही दिक्षार्थीयो के अनुमोदन स्वरूप पड़गाहन विधि लेकर दिक्षार्थीयो को वात्सल्य का अनुपम आशीष प्रदान कर दिया

वास्तव में आचार्य श्री विशुद्धसागर जी वे महान श्रमण है जो कही भी विराजते है वहा अपने से बड़े गुरु के प्रति सामने जाकर अदभुद विनय-भक्ति करते है तो लघु साधको के प्रति भरपूर स्नेह व वात्सल्य लुटाते है वही अन्य संघ के त्यागी-व्रती उत्कृष्ट श्रावको के प्रति भी असीम वात्सल्य आशीष प्रदान करते है

उनकी साधर्मियो के प्रति ऐसे पावन पूज्य भाव जन जन को अभिभूत तो करती ही है साथ मे सम्पूर्ण जैन जगत को प्रशंसनीय मिसाल भी दे जाती है

जिसकी राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज भी सराहना करते है

🖊️शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी🖊️
नमनकर्ता-श्री सुनीलसागर युवासंघ भारत

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