दर्शन

अथ श्रीचन्द्रप्रभजिनस्तुतिः

(स्वाध्याय – शब्दार्थ एवं भावार्थ) चन्द्रप्रभं चन्द्रमरीचिगौरं, चन्द्रं द्वितीयं जगतीव कान्तम्‌ । वन्दे भिवन्द्यं महतामृषीन्द्रं, जिनं जितस्वान्तकषायबन्धम्‌ ॥१॥ अन्वयः – चन्द्रमरीचिगौरं, जगति द्वितीयं कान्तं चन्द्रं इव, महतां अभिवन्द्यं, ऋषीन्द्रं, जितस्वान्तकषायबन्धं,…

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सोला भोजन

परमपूज्य मुनिराजों एवं त्यागी व्रतियों के चौको में अक्सर सोला शब्द प्रयोग किया जाता है कई बार जानकारी के अभाव में सोला शब्द एक रूढ़िवादी परम्परा सा लगने लगता है।…

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उत्तम क्षमा अर्थात परम क्षमा

मंगलकारी पर्युशन पर्व के बीतने के बाद, क्षमा दिवस आ गया है। हमारे जीवन के इस मार्ग में, ऐसे कई क्षण आते हैं जब हम भगवान महावीर के उपदेश “अहिंसा…

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