जिनागम  |  धर्मसार

दर्शन

आचार्य श्री का जीवन ही उनका दर्शन था

समणपरंवरसुज्जंसययसंजमतवपुव्वगप्परदं।चंदगिरिसमाधित्थंणमो आयरियविज्जासायराणं ।। श्रमण परम्परा के सूर्य , सतत संयम तप पूर्वक आत्मा में रमने वाले और चंद्रगिरी तीर्थ पर समाधिस्थ (ऐसे) आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी को हमारा कोटिशः…

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75 दिवसीय अखंड महा आराधना श्री चिंतामणि इष्ट सिद्धि महा विधान परम भक्ति पूर्वक परम आनंद और उत्साह पूर्वक संपन्न हो रहा है

श्री अतिशय क्षेत्र कचनेर जी में चिंतामणि बाबा के श्री चरणों में सबके आराध्य सभी की आस्था के केंद्र श्री चिंतामणि पारसनाथ भगवान की महा आराधना 75 दिवसीय अखंड महा…

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चांदखेड़ी की संस्कृति व सुरक्षा खतरे में

जी हाँ चांदखेड़ी के मंदिर,वहाँ की प्राचीन संस्कृति व आदिनाथ भगवान की मनोहारी प्रतिमा की सुरक्षा खतरे में पड़ चुकी है। इसका कारण बना क्षेत्र पर की गयी भारी फोड़…

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क्या आप जानते है वर्तमान में सबसे प्राचीन जैन प्रतिमा कौन सी है

श्री शंखेश्वर तीर्थ में स्थित १००८ भगवान श्री पार्श्‍वनाथ जी की प्रतिमा अथवा गिरनार तीर्थ में स्थित १००८ भगवान श्री नेमिनाथ जी की प्रतिमा या फिर शिरपुर के नजदीक अकोला,…

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तीर्थंकर सामान्य जानकारी

1. तीर्थंकर 1008 शुभ‌ लक्षणों से सहित होंते हैं। 2. तीर्थंकर का शरीर मल-मूत्र से रहित होता है। 3. तीर्थंकर के शरीर में पाया जाने वाला रक्त श्वेत होता है।…

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अथ श्रीचन्द्रप्रभजिनस्तुतिः

(स्वाध्याय – शब्दार्थ एवं भावार्थ) चन्द्रप्रभं चन्द्रमरीचिगौरं, चन्द्रं द्वितीयं जगतीव कान्तम्‌ । वन्दे भिवन्द्यं महतामृषीन्द्रं, जिनं जितस्वान्तकषायबन्धम्‌ ॥१॥ अन्वयः – चन्द्रमरीचिगौरं, जगति द्वितीयं कान्तं चन्द्रं इव, महतां अभिवन्द्यं, ऋषीन्द्रं, जितस्वान्तकषायबन्धं,…

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सोला भोजन

परमपूज्य मुनिराजों एवं त्यागी व्रतियों के चौको में अक्सर सोला शब्द प्रयोग किया जाता है कई बार जानकारी के अभाव में सोला शब्द एक रूढ़िवादी परम्परा सा लगने लगता है।…

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उत्तम क्षमा अर्थात परम क्षमा

मंगलकारी पर्युशन पर्व के बीतने के बाद, क्षमा दिवस आ गया है। हमारे जीवन के इस मार्ग में, ऐसे कई क्षण आते हैं जब हम भगवान महावीर के उपदेश “अहिंसा…

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