जिनागम  |  धर्मसार

जिनवाणी

उत्तम त्याग” – “निज शुद्धात्म को ग्रहण करके बाह्य और आभ्यांतर परिग्रह की निवृत्ति ही उत्तम त्याग है।

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “णिव्वेगतियं भावइ मोहं चइऊण सव्वदव्वेसु,जो तस्स हवे च्चागो इदि भणिदं जिणवरिंदेहिं।।”“बारस अणुवेक्खा” की इस प्राकृत गाथा में त्याग की व्याख्या करते हुए लिखा है…

Read More
जिनागम | धर्मसार