पाँच किलो का पत्थर नौ घंटे पेट पर बांध कर रखना पता चल जाएगा माँ क्या होती है।
(आचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज)
निमियाघाट-अहिंसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता साधना महोदधि भारत गौरव उभय मासोपासी आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज निमियाघाट के सहस्त्र वर्ष पुरानी भगवान पारसनाथ की वरदानी छांव तले विश्व हितांकर विघ्न हरण चिंतामणि पारसनाथ जिनेंद्र महाअर्चना महोत्सव पर भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए।
अंतर्मना प्रसन्नसागरजी ने कहा:- किसी ने पूछा आचार्य श्री माँ की महिमा क्या है?
हमने कहा माँ की महिमा यही है की महिमा में खुद माँ है (मही-मां)
माँ के बिना महिमा शब्द अधूरा है मां की कोई उपमा नहीं हो सकती है अगर मैं कहता हूं ।
— माँ तू सागर जैसी है तो सागर का जल खारा है लेकिन मेरी माँ मैंने जो तेरा दूध पिया वह अमृत जैसा मधुर व मीठा था इसलिए माँ मुझे सागर भी तेरे सामने छोटा लगता है।
— यदि मैं कहूं कि माँ तू चंद्रमा जैसी है तो चंद्रमा में दाग है लेकिन मेरी माँ मैंने तेरी ममता में दाग नहीं पाया इसलिए माँ चंद्रमा भी तेरे सामने बौना है।
— यदि माँ मैं कहूं कि तू सूर्य है तो सूर्य केवल दुनिया को रास्ता दिखाता है लेकिन माँ तूने मुझे केवल रास्ता ही नहीं दिखाया बल्कि तूने अंगुली पकड़कर चलना भी सिखाया है।
— यदि मैं कहूं माँ तू देवी है तो देवी सिर्फ वरदान देती है लेकिन मेरी माँ तूने तो मुझे जीवनदान दिया है इसलिए तेरी महिमा देवी से भी बढ़कर है
— यदि मैं कहूं माँ तो ब्रह्मा विष्णु महेश है तो ब्रह्मा में विष्णु और विष्णु में महेश नहीं समा सकते लेकिन मां तेरे गर्भ में तो ब्रह्मा विष्णु महेश सभी समाए हुए हैं इसलिए मेरी माँ तू मेरे लिए ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों से भी बढ़कर है।
आखिर में माँ के लिए कोई उपमा नहीं दे सकता तेरी कोई उपमा नहीं है क्योंकि उपमा शब्द (उप-मां) के बिना उपमा की भी कोई उपमा नहीं है माँ सिर्फ माँ है पूरी दुनिया में कोई दूसरी वस्तु नहीं जिसकी उपमा माँ से की जा सके।
अंतर्मना आचार्य श्री ने कहा कि –
माँ एक ऐसा तत्व है जिसमें ब्रह्मा भी है विष्णु भी है और महेश भी हैं।
>माँ जन्म देती है इसलिए ब्रह्मा है
>माँ संतान का पालन करती है इसलिए विष्णु भी है और
>माँ संतान का उद्धार व संस्कार देती है इसलिए महेश भी है
कहते हैं माँ के चरणों में जन्नत बसती है माँ के आंचल में संसार की खुशियां है माँ की गोद में बैठने के बाद जो सुकून मिलता है वह दुनिया में कहीं भी नहीं मिलता संसार की सुंदरता माँ की खूबसूरती के सामने तुच्छ है माँ ममता कि वह देवी है जो खुद तो गीले में सोई पर तुम्हें सूखे में सुलाया। वह खुद तो भूखी रही पर तुम्हें पेट भर खिलाया खुद तो रात भर जागी लेकिन तुम्हें रात भर सुलाया माँ बेटे की निंदिया के लिए रात भर जागना पड़े तो जाती है इसलिए संतान के लिए संसार का पहला मंदिर माँ है।
कोडरमा मीडिया प्रभारी-राज कुमार अजमेरा, नवीन जैन।