धनतेरस के शुभ दिन जन्मे मुनि श्री सम्प्रतिष्ठ सागर जी का गुरु चरणो मे आज उत्तम समाधि मरण

सन 1941 मे धनतेरस के शुभ दिन जन्मे मुनि श्री सम्प्रतिष्ठ सागर जी का गुरु चरणो मे आज उत्तम समाधि मरण

राजस्थान की धर्म नगरी पारसोला के गौरव मुनि श्री सम्प्रतिष्ठ सागर जी का जन्म 18 ओक्टुम्बर 1941 को वगेरिया मिठालाला जी सोहन देवी के घर मे हुआ था

आपके परिवार पर हमारी दोनो महान संत परम्पराओ के दिग्गज पट्टाचार्य युग श्रेष्ठ आचार्य शिरोमणि तपस्वी सम्राट श्री सन्मति सागर जी व चीर दीक्षित वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ऋषिराज के संस्कारो का गहरा प्रभाव था।

जिसमे आपने वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी यतिराज से ब्रह्मचार्य व्रत स्वीकार कर संयम की ओर बढ़ने का पुरुषार्थ प्रारम्भ किया उसके पश्चात महाराष्ट्र के कोल्हापुर मे महातपोमार्तण्ड आचार्य श्री सन्मति सागर जी यतिराज से सन 2010 मे 7 प्रतिमा के व्रत अंगीकार किये।

ओहो अदभुद धन्य भाग्य जिन्हे ऐसे महा मनीषियों का वरद हस्त मिला।

दुबई में रहकर के भी त्याग पूर्ण जीवन

मुनि श्री सम्प्रतिष्ठ सागर जी ने गृहस्थाश्रम जीवन के अन्तर्गत दुबई में 27 वर्ष तक कपड़े का निर्दोष व्यापार किया वहा भी
उनका रात्रि भोजन व कंदमूल का पूर्ण रूप से त्याग था*

ऐसे देश में रहकर के भी जहां पर कोई त्याग और धर्म के बारे में नहीं समझता वहां पर भी उन्होंने अपने बचपन के त्याग के नियमो का दृढ़ता से पालन किया

महाराज श्री उन लोगों के लिए सशक्त उदाहरण है जो थोड़ी सी प्रतिकूल परिस्थिति में विचलित हो जाते हैं।

तपस्वी सम्राट भगवंत की समाधि के उपरांत आप निरंतर उनके श्रेष्ठ लघुनंदन चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनील सागर जी गुरुदेव व वर्तमान मे विराजित चिर दीक्षित ज्येष्ठ गुरुभगवंतो मे से पूज्य आचार्य श्री वर्धमान सागर जी गुरुराज श्री संघ की सेवा वैयावृत्ती मे समर्पित रहे।

वागड़ का सम्मेदाचल कहे जाने वाले अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ जी मे 15 ओक्टुम्बर सन 2021 को संयम भूषण आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरुराज के अतिशय हस्तो से आपने मुनि दीक्षा ग्रहण की।

हाल ही मे आपने राजस्थान की सोने जी की नसिया (स्वर्ण समवशरण जैन मंदिर) के लिए जग विख्यात अजमेर नगरी मे अपने दीक्षा गुरु पूज्य आचार्य श्री के चरणो मे समाधि संकल्प लेकर सल्लेखना की ओर अग्रसर हुए।

पूज्य आचार्य श्री के कुशल निर्यापकत्व व संघस्थ मुनियो की उत्तम सेवा से धर्म श्रवण,आत्म चिंतन,भेद विज्ञान व समता भाव पूर्वक समस्त संघ की उपस्थिति मे आज दिनांक 6 मई 2024 को 11 बजकर 35 मिनिट पर आपने मोक्ष लक्ष्मी को पाने साधक जीवन के अंतिम लक्ष्य श्रेष्ठ समाधि मरण प्राप्त किया।

मेवाड कांठल व वागड़ के गौरव श्री श्री सम्प्रतिष्ठ सागर जी गुरुदेव के चरणो मे बारम्बार नमन

🖊️शब्द सुमन-शाह मधोक जैन चितरी🖊️

नमनकर्ता – श्री राष्ट्रीय जैन मित्र मंच भारत
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