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चातुर्मास गृहस्थों के लिये आत्म साधना का अनुपम अवसर : स्थविर संत श्री १०८ सुरत्न सागर जी महाराज

चातुर्मास गृहस्थों के लिये आत्म साधना का अनुपम अवसर : स्थविर संत श्री १०८ सुरत्न सागर जी महाराज

स्थविर संत का चातुर्मास कलश स्थापना समारोह

जेष्ठाचार्य श्री १०८ आदि सागर जी अंकलीकर के तृतीय पट्टाचार्य तपस्वी सम्राट श्री 108 सन्मति सागर जी महाराज के शिष्य अंकलीकर परंपराचार्य श्री 108 सौभाग्य सागर जी महाराज के शिष्य आचार्य श्री १०८ सुरत्न सागर जी महाराज का चातुर्मास वर्षायोग कलश स्थापना समारोह विश्वास नगर के सीबीडी ग्राउंड में आयोजित किया गया। इस अवसर पर राजधानी दिल्ली और देश के कोने-कोने से अंकलीकर परंपराचार्य श्री १०८ सौभाग्य सागर जी महाराज के भक्त उपस्थित हुए।

स्थविर संत का चातुर्मास कलश स्थापना समारोह

और भक्ति से ओत-प्रोत माहौल में चातुर्मास कलश स्थापना हुई। चातुर्मास कलश स्थापना के अवसर पर आचार्य श्री सूरत्न‌ सागर जी महाराज ने कहा कि चातुर्मास सिर्फ संतों का ही नहीं होता अपितु ग्रहस्थों का भी होता है। चातुर्मास के समय में 4 महीने वर्षायोग के समय साधु एक स्थान पर रख कर धर्म की आराधना और आत्म साधना करते हैं । और ग्रहस्थ भी उनके पास जाकर अपने समयनुसार धर्म की आराधना करते हैं। और चतुर मास में साधुओं की साधना में अपना सहयोग देते हैं ।

इन चार माह में धर्म की प्रभावना होती है। और ग्रहस्थ लोग भौतिकता को त्याग कर आत्म साधना में अपना समय लगते हैं। चातुर्मास ग्रहस्थों के लिए एक अनुपम अवसर है जो कि साधुओं के आशीर्वाद से प्राप्त होता है, ग्रहस्थों को अपना समय चातुर्मास में सांसारिकता को छोड़कर आत्म आराधना में व्यतीत करना चाहिए।

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