अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष -:
धार्मिक, सामाजिक, मीडिया एवं अकादमिक की विशेष गतिविधियों से जुड़ीं ,राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जैनधर्म प्रतिनिधि
डॉ० इन्दु जैन राष्ट्र गौरव एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने भाषा, लिपि,कला,साहित्य,लेखन, पत्रकारिता,समाजसेवा,शाकाहार प्रचारक आदि के क्षेत्र में बहुत कम उम्र में ही वो मुक़ाम हासिल कर लिया है कि आपके कार्यों को देश-विदेश में अनेक सम्मानों से नवाज़ा गया है।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित जैनदर्शन के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. फूलचंद जैन प्रेमी (पिताजी)आदर्श महिला सम्मान से सम्मानित जैनदर्शन विदुषी एवं ब्राह्मी लिपि विशेषज्ञ डॉ. मुन्नीपुष्पा जैन (मां) एवं विविध विधाओं के अनेक गुरुओं के सान्निध्य में आपकी सम्पूर्ण शिक्षा एवं प्रतिभा का विकास जैनधर्म के चार तीर्थंकरों की जन्मस्थली,भगवान पार्श्वनाथ की नगरी बनारस में हुआ है। बनारस,माइक और मंच उनका बचपन से ही नाता रहा और आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर उन्हें अपनी कला को निखारने का अवसर मिला। वे विवाह के पश्चात् बनारस से दिल्ली आईं और जीवनसाथी श्री राकेश जैन के समर्पित सहयोग एवं प्रेरणा से निरंतर अपनी प्रतिभा का चहुंमुखी विकास कर रहीं हैं।
डॉ. इन्दु जैन ने विगत 25 वर्षों से कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में आलेख वाचन, मंत्रालय एवं प्रतिष्ठित संस्थाओं के कार्यक्रमों का संचालन तथा संयोजन किया है। आपने कई विद्यालयों- विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अल्पसंख्यक आयोग, मंत्रालय के कार्यक्रमों,महिला एवं युवा सम्मेलनों, संगोष्ठियों,कार्यशालाओं में अतिथि , मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि , अध्यक्ष आदि के रूप में प्रेरक वक्तव्य देकर अनेक लोगों को नई राह दिखाई है। आपने शाकाहार अभियान , स्वस्थ मन अभियान,राष्ट्र धर्म ध्वजा अभियान से अनेक लोगों को जोड़ा है।
भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री , धर्म गुरुओं आदि कई विशिष्ट व्यक्तियों के सानिध्य में आपने सर्वधर्म प्रार्थना सभाओं एवं विशेष कार्यक्रमों में, जैनधर्म के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभागिता की है एवं अपनी वाणी के प्रभाव से प्राकृत, संस्कृत, पाली, अपभ्रंश आदि प्राचीन भाषाओं के छंदों का सस्वर पाठ करके एवं हिन्दी भाषा के माध्यम से भारतीय एवं जैन संस्कृति को जन -जन के मन में बसाने का पावन कार्य किया है ।
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अपने आलेख, नाटक,गीत,कविताओं आदि के माध्यम से डॉ. इन्दु जैन पाठकों से निरंतर संवाद स्थापित करने में सफल रहती हैं। आप सर्वप्राचीन ब्राह्मी लिपि के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
आपकी अनेक उपलब्धियाँ हैं, जिनमें से मुख्य उपलब्धि यह है कि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्रकाशित आपकी पुस्तक ‘शौरसेनी प्राकृत भाषा और साहित्य का इतिहास’ पर साहित्य जगत में देश का प्रतिष्ठित ‘महावीर पुरस्कार’ प्राप्त हो चुका है । आप Faith Leader Honour , राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान, जैन युवा सम्मान तथा राष्ट्र गौरव, नेशनल गौरव अवार्ड, JLA Iconic Incredible Woman Award ,अथाई गौरव सम्मान ,आदर्श पत्रकार सम्मान,आदर्श महिला रत्न,नारी गौरव सम्मान ,काशी गौरव सम्मान,अहिंसा इंटरनेशनल पुरस्कार ,श्रमण संस्कृति गौरव,मातृशक्ति सम्मान,इंटरनेशनल संकल्प अवार्ड,क्षुल्लक गणेश प्रसाद वर्णी स्मृति विद्वत परिषद पुरस्कार , ग्लोबल जैन सशक्त महिला पुरस्कार आदि कई सम्मानों से भी सम्मानित हो चुकी हैं। सिंगापुर तथा दुबई जैन समाज के लिए आप विशेष व्याख्यान दे चुकी हैं । आपके व्याख्यानों से प्रभावित होकर दुबई समाज की ओर से आपको “विदुषी रत्न” की उपाधि से सम्मानित किया गया है ।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं देश के सभी विशिष्टजनों के सान्निध्य में “नवीन संसद भवन” के भूमि पूजन एवं उद्घाटन के ऐतिहासिक समारोह के अंतर्गत आयोजित’ सर्वधर्म प्रार्थना सभा’ में जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए आपने सर्वप्राचीन प्राकृत भाषा में गाथाएं एवं संस्कृत भाषा में महावीराष्टक एवं मंगलाष्टक का वाचन किया था, जिससे पूरे विश्व की जैन समाज गौरवान्वित हुई।
वर्तमान समाज में कम होते नैतिक और चारित्रिक मूल्यों की त्रासदी के मध्य डॉ० इन्दु अपनी ओजस्वी वाणी, प्रेरक वक्तव्य, मधुर कंठ और मनमोहक संचालन द्वारा समाज को मूल्यों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रेरित कर रहीं हैं और प्राचीन भाषा प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत की शास्त्रीय प्रस्तुति के माध्यम से प्राचीन भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने का भगीरथ यत्न कर रहीं हैं । विश्व शांति की स्थापना के उद्देश्य से अहिंसा, अनेकान्त, सद्भाव, करुणा, मैत्री, शाकाहार के प्रचार-प्रसार में, आप निरंतर समर्पित भाव से कार्य कर रहीं हैं। पूरे भारत वर्ष में आकाशवाणी में 22 भाषाओं में प्रसारित होने वाले , चुनाव आयोग के विशेष कार्यक्रम ‘मतदाता जंग्शन’ के कुछ एपिसोड लिखने का भी विशेष कार्य आपने किया है और निरंतर आलेख,कविता,नाटक,कहानी, डाक्यूमेंट्री आदि ऐसे ही कई विशेष कार्य कर रही हैं।
वर्तमान में आप ‘जिनधर्म रक्षक’ की संस्थापिका, नेशनल मीडिया फाउण्डेशन’ की राष्ट्रीय सचिव , भारतीय जैन विद्वत् परिषद् की सम्मानित सदस्या,’जिन फाउण्डेशन’ की सचिव , देश-विदेश में करीब 2500 से अधिक स्कूल और 60 से अधिक कॉलेेज के विद्यार्थियों में अहिंसा, करुणा, मैत्री, शाकाहार, पर्यावरण संरक्षण का प्रचार-प्रसार करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘करुणा इंटरनेशनल’ (चेन्नई ) की संयोजक (दिल्ली), अथाई-आशा इंटरनेशनल की महासचिव,अखिल श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की उपाध्यक्षा, ‘अहिंसा प्रभावना पत्रिका’ की मुख्य सम्पादिक, ‘पागद भासा’ की सलाहकार, ‘प्राकृत टाइम्स इंटरनेशनल न्यूज़लेटर की सह सम्पादिका एवं कई प्रतिष्ठित संस्थाओं में सम्मानित पदों में रहकर, निरंतर समाज सेवा और सकारात्मक सोच के साथ, समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के कार्य में संलग्न हैं ।
‘जिनधर्म रक्षक’ के माध्यम से डॉ. इन्दु एवं राकेश जी का उद्देश्य जैनधर्म के सभी परम्परा के बच्चों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जैनधर्म के प्रतिनिधि के रूप में तैयार करना एवं बच्चों की प्रतिभा का चहुंमुखी विकास करना है। अभी तक जिनधर्म रक्षक की विभिन्न कार्यशालाओं में दो हज़ार से अधिक बच्चों ने जैनधर्म – दर्शन – संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया है।
ज्ञातव्य है कि डॉ. इन्दु निरंतर अपने यूट्यूब चैनल,सोशल मीडिया,प्रिंट मीडिया एवं कार्यशालाओं के माध्यम से भी जैन समाज को जैन संस्कृति , प्राकृत भाषा, ब्राह्मी लिपि, शाकाहार आदि के क्षेत्र में समर्पित होकर कार्य करने के लिए प्रेरित करती रहती हैं । उनका सपना है कि सभी गुरुओं के आशीर्वाद से वे पूरे विश्व के जैन बच्चों को एक परिवार की तरह जोड़कर जैन समाज की भावी पीढ़ी को जिनधर्म रक्षक के रूप में बचपन से ही तैयार कर दें ताकि बच्चे अभी से जैनधर्म-समाज-देश के लिए अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक और समर्पित रहें ।
आज की युवा पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन चुकीं डॉ. इन्दु समाज में मूल्यों की स्थापना के लिए अहर्निश समर्पित रहती हैं।