By- जिनागम - धर्मसार

“उत्तम ब्रह्मचर्य – : ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है”

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “आत्मा ब्रह्म विविक्त बोध निलयो यत्तत्र चर्यं पर।स्वाङ्गासंग विवर्जितैक मनसस्तद् ब्रह्मचर्य मुने।।”शास्त्रों में कहा…

ताड़पत्रों पर सोने की स्याही से लिखा गया एक दुर्लभ ग्रंथ

ये चित्र पू १०५ श्री ऐलक पन्नालाल का है ।जो सरस्वती भवन झालरापाटन में लगा है ।इन्होंने समाज के लिये…

श्री 108 विराग सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद व पावन सानिध्य में सात दिवसीय कार्यक्रम शाकाहार परिवार द्वारा आयोजित किया

परम पूज्य बुंदेलखंड के प्रथमाचर्य,गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद व पावन सानिध्य में सात दिवसीय…

75 दिवसीय अखंड महा आराधना श्री चिंतामणि इष्ट सिद्धि महा विधान परम भक्ति पूर्वक परम आनंद और उत्साह पूर्वक संपन्न हो रहा है

श्री अतिशय क्षेत्र कचनेर जी में चिंतामणि बाबा के श्री चरणों में सबके आराध्य सभी की आस्था के केंद्र श्री…

496 दिन सिंह निष्क्रीडित व्रत एवं 557 दिन मौन साधना

विशेष: ~ अंतर्मना की तप साधना ~ त्याग – मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी है। त्याग हमारे जीवन को श्रेष्ठ…

“उत्तम आकिञ्चन्य धर्म – : आत्मा के अलावा कुछ भी अपना नहीं है यही भावना और साधना “उत्तम आकिञ्चन्य” धर्म है”

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “परकिंचिवि मज्झ णत्थि भावणाकिंयण्‍हं गणहरेहिं ।अंतबहिगंथचागो अणासत्तो हवइ अप्पासयेण ।।”“दसधम्मसारो” पुस्तक में प्रो.अनेकान्त जैन…

उत्तम त्याग” – “निज शुद्धात्म को ग्रहण करके बाह्य और आभ्यांतर परिग्रह की निवृत्ति ही उत्तम त्याग है।

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “णिव्वेगतियं भावइ मोहं चइऊण सव्वदव्वेसु,जो तस्स हवे च्चागो इदि भणिदं जिणवरिंदेहिं।।”“बारस अणुवेक्खा” की इस…

शान्तिधारा पर आगम पृच्छा

🍁प्रश्न : एक बार शान्तिधारा पूर्ण हो जानेके बाद अभिषेक कर सकते हैं ? यदि हाँ, तो क्यों ? 🌻उत्तर…

संजमणमेव संजम जो सो खलु हवइ समत्ताणुभाइ ।णिच्छयेण णियाणुभव ववहारेण पचेंदियणिरोहो ।।

संयमन ही संयम है जो निश्चित ही सम्यक्त्व का अनुभावी होता है । निश्चयनय से निजानुभव और व्यवहार से पंचेन्द्रिय…
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