उत्तम क्षमा अर्थात परम क्षमा

मंगलकारी पर्युशन पर्व के बीतने के बाद, क्षमा दिवस आ गया है। हमारे जीवन के इस मार्ग में, ऐसे कई क्षण आते हैं जब हम भगवान महावीर के उपदेश “अहिंसा परमो धर्म” को भूल जाते हैं। हमने जरूर अपनी वाणी या अपनी करनी से आपको कष्ट दिया होगा। आप इस अवसर पर अपनी क्षमाशीलता को हमारे वेबसाइट vidyasagar.net से “क्षमावादी कार्ड” भेज कर अभिव्यक्त कर सकते हैं।

 

यद्यपि बहुत सारे बुरे लोगों ने आपको कई हानियाँ पहुँचायी होगी, परंतु आपको उनपर गुस्सा नहीं करना चाहिये और सभी को माफ कर देना चाहिये। सर्वोच्च क्षमा सभी में होनी चाहिये क्योंकि यह इस जन्म में भी और अगले जन्मों में भी खुशी देने वाला है। यद्यपि कोई हमें गाली भी दे या हमारे अच्छे गुणों को बुरा कहे, हमें इस कारण से दुःखी नहीं होना चाहिये। यदि दूसरे हमें कष्ट पहुँचाते हैं, फिर भी हमें उनसे दुश्मनी नहीं रखनी चाहिये क्योंकि हमारे पिछले पापों को हमें ही सहन करना है। यदि हम इस समय पुनः क्रोध करेंगे तो इस दुनिया में हम और अधिक कर्म करते हुए घूमते ही रहेंगे। हमें गुस्से की आग को धीरज और नियंत्रण के पानी से बुझा देना चाहिये।

क्षमा में आत्मा का सदगुण निहित है। जब आत्मा अपने वास्तविक स्वभाव से दोषपूर्ण स्वभाव की ओर जाती है, ऐसी आत्मा आसक्त (रागी) या द्वेषी इत्यादि कहलाती है क्योंकि आत्मा स्वभावगत सामान्य और क्षमाशील होती है। सही कहा गया है:

गलती करने वाला इंसान होता है, क्षमा करने वाला देव-तुल्य होता है। यह दिन उत्तम क्षमा अर्थात परम क्षमा (Forgive Day) के दिन के रूप में मनाया जाता है। मुझसे जो भी गलती हुई है उसके लिये मुझे क्षमा कीजिये।

***

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जिनागम | धर्मसार