- 15/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
संजमणमेव संजम जो सो खलु हवइ समत्ताणुभाइ ।णिच्छयेण णियाणुभव ववहारेण पचेंदियणिरोहो ।।
संयमन ही संयम है जो निश्चित ही सम्यक्त्व का अनुभावी होता है । निश्चयनय से निजानुभव और व्यवहार से पंचेन्द्रिय निरोध संयम कहलाता है । संयमन को संयम कहते हैं…
Read More- 14/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“उत्तम सत्य” की साधना से परम सत्य का दिग्दर्शन होता है”
–डॉ.इन्दु जैन राष्ट्र गौरव,दिल्ली आत्मा के वास्तविक स्वरूप की अनुभूति करना ही उत्तम सत्य है।सत्य धर्म का मूल आधार है; सत्य की आवश्यकता गृहस्थ धर्म और साधु धर्म दोनों के…
Read More- 12/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“कैंसर से भी ज़्यादा ख़तरनाक “मायाचारी की गाँठ” पनपने से रोकता है – उत्तम आर्जव धर्म “
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “कपट न कीजे कोय, चोरन के पुर ना बसें।सरल-सुभावी होय, ताके घर बहु-संपदा।।”अर्थात् कभी भी किसी को छल-कपट नहीं करना चाहिए क्योंकि चोरों के…
Read More- 11/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
जैनम् जयतु शासनम्
बन्धुओं ! आज पर्वराज पर्युषण पर्व के अर्थात दसलक्षण धर्म महापर्व के द्वितीय धर्म मार्दव धर्म दिवस पर शास्वत सिद्धक्षेत्र सम्मेद शिखर की पावन भूमि पर अनायास ही श्रमण संस्कृति…
Read More- 09/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“उत्तम क्षमा” की औषधि से होता है मन के घावों का इलाज”
–डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली ” धम्मो वत्थु सहावो” अर्थात् वस्तु का स्वभाव ही धर्म है।” धर्म का यह विश्लेषण करते हुए प. पू. आचार्य कार्तिकेय स्वामी जी कार्तिकेयानुप्रेक्षा…
Read More- 02/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
ज्ञानी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अनुकूलता ही निकालेंगे : आचार्य अंदेश्वर पार्श्वनाथ
अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर में बुधवार को आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने धर्मसभा काे संबाेधित करते हुए कहा कि धन कन कंचन राज सुख सभी सुलभ कर जान…
Read More- 14/08/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
लूटना और पीटना भारत की परम्परा नहीं साधना महोदधि, उभयमासोपवासी, अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज
अहिंसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता अंतर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने राष्ट्रीय पर्व स्वतन्त्रता दिवस पर अपने विचार राष्ट्र के लिए समर्पित किये —✨✨✨✨✨✨✨✨स्वतंत्रता दिवस के साथ…
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