- 21/10/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
रावण पार्श्वनाथ की उत्पती के पीछे एक इतिहास छिपा है
राजस्थान प्रांत के अलवर शहर से ३ की.मी. दूर श्री रावण पार्श्वनाथ का भव्य जिनालय है। प्रतिमाजी १२ इंच ऊँचे, ९ इंच चौड़े, सात फनों से युक्त है।रावण पार्श्वनाथ की…
Read More- 14/10/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
अन्तर्मना उवाच- हर घर में रावण जैसा बेटा पैदा होना चाहिए
गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा – क्या चाहिए-? भाई या बहिन–?बेटी बोली — भाईमाँ – किसके जैसा-?बेटी – रावण जैसामाँ – क्या बकती है-?पिता ने धमकाया — माँ ने…
Read More- 12/10/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
श्रमण सूर्य गुरुणामगुरु ज्येष्ठाचार्य श्री आदिसागर जी अंकलिकर स्वामी का 155वां अवतरण दिवस वर्ष
वर्तमान दिगम्बर जैन सन्तो के गुरुणामगुरु,श्रमण परम्पराजनक,मुनि धर्म सम्राज्य नायक त्रय महामुनिराज आचार्य श्री आदिसागर जी भगवन्त, चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी भगबन्त व आचार्य श्री शांतिसागर जी छाणी…
Read More- 07/10/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
चतुर्थ पट्टाचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज का 45वां अवतरण दिवस
धधक धधकती ज्वालाएं भी चन्दन सम शीतल बन जाती हो,मन्त्र मुग्ध हो सारी जनता जिनके चरणों मे नत मस्तक हो जाती हो, रत्नत्रय के धारी गरुवर आप सर्व गुणों से…
Read More- 06/10/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
अमावस्या को करें यह उपाय, विघ्न बाधाएं होगीं चुटकियों में दूर
आज अमावस्या के निमित्त से हर अमावस्या को आप अगर आगे बताएं जैसा करें तो आपका परिवार हो, आपका घर हो, या आपकी अन्य कोई वस्तु हो, उसको अगर यंत्र-मंत्र-तंत्र…
Read More- 28/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
नववधु की अटल प्रतिज्ञा को पूर्ण कराने वाले परिवार में जन्मा युगपुरुष
सन 1870 की घटना हैउत्तरप्रदेश के एटा जिले के कोसमा ग्राम से तीन किमी दूर तखावन नामक नाम का गाँव है।जहा एक जैन श्रेष्ठी ठाकुरदास जी दिवाकर जी रहते थे।जब…
Read More- 18/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
496 दिन सिंह निष्क्रीडित व्रत एवं 557 दिन मौन साधना
विशेष: ~ अंतर्मना की तप साधना ~ त्याग – मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी है। त्याग हमारे जीवन को श्रेष्ठ और सुंदर बनाता है। त्याग एक नैसर्गिक कर्तव्य है। श्वास…
Read More- 11/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“उत्तम मार्दव धर्म” – अहंकार के वायरस से दूर रहकर करें सहज-सरल जीवन की साधना”
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव,दिल्ली( विदुषी , लेखिका,समाज सेविका) “मान कारण सद्भवेपि य भाव मृदु स्वभावतः,स उत्तम मार्दव भवेत महान गुण साधन:।” अर्थात् अभिमान का कारण होते हुए भी मृदु…
Read More- 24/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
महामारी, महामंत्र और आत्मशांति
महामारी-महामंत्र-और-आत्मशांति
Read More- 24/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
गर्व से कहो हम जैन है- जैन संदर्भ: एक परिचय
मित्रो! भले ही जैन समुदाय एक अल्पसंख्यक समुदाय है तथापि इस की उपलब्धियां किसी से कम नहीं है। आप अपने अतीत के शानदार इतिहास पर गर्व महसूस कर सकें एवं…
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