श्री शंखेश्वर तीर्थ में स्थित १००८ भगवान श्री पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा अथवा गिरनार तीर्थ में स्थित १००८ भगवान श्री नेमिनाथ जी की प्रतिमा या फिर शिरपुर के नजदीक अकोला, महाराष्ट्र में स्थित १००८ भगवान श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा हम सब गिरनार तीर्थ और शंखेश्वर तीर्थ के बारे में तो बहुत कुछ जानते हैं, लेकिन वर्तमान में सबसे प्राचीन १००८ भगवान श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ जी के बारे हमें अधिक जानकारी नहीं है।
आज हम आपको शिरपुर के नजदीक अकोला, महाराष्ट्र में स्थित वर्तमान की सबसे प्राचीन १००८ भगवान श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ जी के बारे बता रहे हैं। चलिए जानते हैं श्री पार्श्वनाथ अन्तरिक्ष जी तीर्थ का इतिहास और प्रतिमा के बारे में कुछ मुख्य बातें।
42 इंच की अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा 11,80,000 वर्ष प्राचीन है। प्रतिमा जी मिट्टी और गाय के गोबर से १००८ प्रभु श्री मुनि सुव्रतनाथ स्वामी के काल में बनी थी। प्रतिमा की स्थापना देवलोक से आकर स्वयं देवों ने की है न की किसी मनुष्य ने। प्रतिमा जी जमीन को नहीं छूती, यह बिना किसी सहारे के पूर्णतया: हवा में है और इसके नीचे से कपड़ा भी निकाला जा सकता है। इस प्रतिमा जी का जिक्र सकल तीर्थ वंदना में भी आता है जो रोजाना प्रात: प्रतिक्रमण में बोली जाती है। इसी से इसकी महत्वता का पता चलता है। परम पावन, प्रगट प्रभावी, अत्यंत प्राचीन, ऐतिहासिक श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु की महिमा का वर्णन करना लगभग असंभव ही है। इस सब के बावजूद जैसे हर चीज के अच्छे और बुरे दिन आते हैं उसी प्रकार यह तीर्थ भी शायद अभी अपने बुरे समय से गुजर रहा है। इतना महत्तव का होते हुए भी बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है। शिरपुर के नजदीक अकोला, महाराष्ट्र में स्थित इस तीर्थ के दर्शन वंदन को अवश्य जाएं तथा प्रभु के दर्शन वंदन कर अपना जीवन सफल बनाएं।