नवनिर्मित मन्दिर में विराजमान होंगे १००८ भगवान नेमीनाथ
शौरीपुर/आगरा। प्रकृति की गोद में बसे 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान की गर्भ और जन्मभूमि शौरीपुर पर बने नवीन मन्दिर में 23 से 25 अप्रैल के मध्य अति प्राचीन, अतिशयकारी १००८ भगवान श्री नेमीनाथ की प्रतिमा वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी महाराज के पट्टाचार्य शिष्य सर्वान्गभूषण आचार्य श्री १०८ चैत्यसागर जी महाराज ससंघ के निर्देशन व सानिध्य में विराजित की जाएगी। जिसके प्रतिष्ठाचार्य देश के ख्यातिप्राप्त विद्वान पण्डित अजित जी शास्त्री ग्वालियर वाले होंगे।
उपरोक्त प्रतिमा जो कि वर्तमान में शौरीपुर की मूलनायक १००८ भगवान नेमीनाथ की प्रतिमा के ठीक पीछे विराजित है, जिसके बारे में कहा जाता हैं कि यह प्रतिमा जी कभी यहीं पास में यमुना जी से प्रकट हुई थी। प्रतिमा जी के बारे में वात्सल्य रत्नाकर आचार्य १०८ श्री विमलसागर जी महाराज, आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज, तपस्वी सम्राट आचार्य श्री १०८ सन्मतिसागर जी महाराज आदि ने एक ही बात कही थी कि जिस दिन यह प्रतिमा पीछे से आकर आगे विराजित हो जाएगी, उसी दिन से यहां का अतिशय प्रकट होता जाएगा। अब वह समय आ गया है।
सर्वान्गभूषण आचार्य श्री १०८ चैत्यसागर जी महाराज की मंगलप्रेरणा से आगरा/सिरसागंज/दिल्ली के भोलानाथ जी, कमल कुमार जी, विमल कुमार जी सिंघई परिवार के द्वारा क्षेत्र की कमेटी के सहयोग से गुलाबी पत्थर में तराशकर सुन्दर जिनालय का निर्माण कराया गया है, जिसकी प्रतिष्ठा उपरोक्त तिथियों में कराई जाने वाली है।
मन्दिर निर्माण की भावना भाते ही हुआ अतिशय
मन्दिर निर्माण की भावना भाते ही बड़ा अतिशय हुआ। शौरीपुर की भूमि पर बरसों से जहां दो पन्थों का विवाद था, वहां पूज्य आचार्य श्री १०८ चैत्यसागर जी महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद से दोनों पन्थों ने मिलकर अपना विवाद सुलझाया और दो कदम तुम पीछे हटो, दो कदम हम पीछे हटे की भावना भाते हुए जिस स्थान पर विवाद था, वहां इसी पावन प्रसंग के साथ सर्वांगभूषण आचार्य श्री १०८ चैत्यसागर जी महाराज ससंघ की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से आगरा के ही संजय जैन व आशीष जैन एन के एक्सपोर्ट परिवार के द्वारा क्षेत्र कमेटी के सहयोग से भव्य मानस्तंभ का निर्माण कराकर प्रतिष्ठा कराई जा रही है।