पौष कृष्णा एकादशी के दिन जैन सम्प्रदाय के 23 वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के जन्म एवं तप कल्याणक का पर्व था। इसी पर्व के उपलक्ष्य में पलवल के श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पार्श्व पद्मावती धाम की भूगर्भ प्रकटित पार्श्वनाथ भगवान की अतिशयकारी प्रतिमाओ का महाअभिषेक एवं पूजन का ऑनलाइन आयोजन जैनम ज़ूम चैनल पर उदयपुर राजस्थान विराजित वात्सल्य सम्राट आचार्य 108 श्री सुंदर सागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं निर्देशन में श्री दिगम्बर जैन “जिनायतन सेवा” धर्मार्थ एवं सेवार्थ ट्रस्ट उदयपुर के द्वारा किया गया।
इस आयोजन में पूरे भारत मे अलग अलग जगह पर विराजित के साधु संघो ने अपना पावन आशीर्वाद ऑनलाइन उपस्थित होकर दिया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अमित भीमावत उदयपुर ने किया।
दीप प्रज्ज्वलन भारत वर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्रीमान जमनालाल जी हापावल उदयपुर निवासी ने किया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना भारत वर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय श्रीमान निर्मल जी सेठी दिल्ली ने रखी। उनके उद्बोधन में उन्होंने इस तीर्थ को महासभा के वर्ष 2021 के “प्राचीन तीर्थ जिर्णोद्धार” के कार्यक्रम के अंतर्गत सम्मिलित करने की घोषणा भी की।
सर्वप्रथम आचार्य श्री गुप्तिनंदीजी महाराज ने क्षेत्र के विकास को लेकर आयोजित इस कार्य को मंगल आशीर्वाद रूपी उद्बोधन दिया।
इसके उपरांत भगवान का पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा को सम्पन्न किया गया, जिसमे पलवल जैन समाज के कई श्रावक श्राविकाओं ने प्रत्यक्ष भगवान का अभिषेक कर पुण्य लाभ लिया।
तत्पश्चात गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी ने आशीर्वाद स्वरूप व्याख्यान देकर पूरे भारत की जैन समाज को इस तीर्थ के विकास के लिए प्रेरित किया।
तत्पश्चात पूरे विश्व की शांति की मंगल भावना को लेकर कुंथुगिरी पर विराजित गणाधिपति गणधराचार्य कुंथुसगरजी महाराज ने भगवान की मंगलमय शांतिधारा को संपादित करवाया।आचार्य श्री ने अपने उद्बोधन में बताया कि उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व आचार्य गुप्तिनंदी जी , आचार्य वैराग्यनंदी जी एवं गणिनी आर्यिका क्षमाश्री माताजी की उपस्थिति में इस पलवल क्षेत्र को तीर्थ घोषित किया था। तब से लेकर आज तक वे इस क्षेत्र के विमास के लिए जैन समाज को हमेशा प्रेरित करते रहे थे। आज इस आयोजन से उनका यह आशीर्वाद फलता हुआ प्रतीत हो रहा है।
इसके पश्चात कार्यक्रम में कई संतो ने अपने उद्बोधन दिए जो कि इस प्रकार हैं,
- आचार्य 108 श्री देव नंदी जी
- आचार्य 108 श्री विशद सागर सागर जी
- आचार्य 108 श्री सच्चिदानंद जी
- आचार्य 108 श्री नवीन नंदी जी
- आचार्य 108 श्री विज्ञान भूषण जी
- बालाचार्य 108 श्री पावनकीर्ति
- मुनि 108 श्रीचंद्रगुप्त, सुयश गुप्त सागर जी
- गणिनी आर्यिका 105 श्री क्षमा श्री माताजी
- छु• 105 श्री ज्ञान मोती माताजी
- छु• 105 श्री समर्पण सागर जी
पलवल से भूमि की खुदाई जिनके निर्देशन और दैवीय शक्तियो के सानिध्य में हुई थी वे ब्रह्मचारी सुरेश जी बज एवं ब्रह्मचारी नवीन जी सागर भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
पुरात्तव विभाग के अधिकारी जिन्होंने की इन प्रतिमाओ का निरीक्षण कर प्रतिमाओ की प्राचीनता को प्रमाणित किया था ऐसे डॉ मनमोहन जी शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित थे एवं उन्होंने बताया कि उनकी शोध में यह आया है कि पलवल से लेकर दिल्ली और मथुरा आदि क्षेत्रों में लगभग दो ढाई हजार वर्षों से जैन संस्कृति विराजमान है।
कार्यक्रम के मध्य में संचालक डॉ अमित भीमावत ने पलवल क्षेत्र के विकास के लिए बनाए गए ट्रस्ट की जानकारी दी, और बताया कि यह ट्रस्ट पूरे भारत के जैन समुदाय के जिनायतन (प्रतिमा, मंदिर और संत) जो कि समाज की उदासीनता के चलते असंरक्षित है, उन्हें संरक्षण देने के उद्देश्य से बनाया गया है। अभी यह ट्रस्ट पूरे भारत मे अपने मेंबर बनाने का कार्य कर रहा है। पलवल के तीर्थ निर्माण का कार्य इसी ट्रस्ट के द्वारा किया जाएगा।
इसके पश्चात इस कार्यक्रम के मुख्य सूत्र धार आचार्य 108 श्री सुंदर सागर जी महाराज का उद्बोधन हुआ। उन्होंने कहा कि परमात्मा की सेवा करना हमारा कर्तव्य है। इसी कर्तव्य का निर्वाह करते हुए पलवल के तीर्थ के विकास के लिए कटिबद्ध है।
उनके इस कार्य मे उनके साथ आज इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए अनेको जैन संतो का आशीर्वाद और साथ मिला है। अब निश्चित ही यह कार्य शीघ्रता से पूर्णता को प्राप्त होगा।
अंत मे डॉ अमित ने कार्यक्रम में उपस्थित हुए समस्त संतो का आभार व्यक्त करते हुए उनकी स्तुति की, सभी श्रावको एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने भारतवर्षीय दिगम्बर जैन माह सभा का और विशेषकर पारस जी लोहाडे नाशिक वालो का आभार व्यक्त किया जो कि जैनम ज़ूम चैनल के माध्यम से जैन समाज गतिविधियों को जन जन तक पहुचाने का उत्कृष्ट कार्य कर रहे है।