अन्तर्मना उवाच

  • ·         माणं विणयं नासणो-मान विनय का नाश करती है।

  • ·         उत्तम मार्दव  यानि मार दो ,मै और मेरे अहंकार को।

भक्त और भगवान के बीच की दीवार है अहंकार ।अहंकार मीठा बदमाश है ।अहंकार समस्या है तो समर्पण समाधान ।

घर, परिवार,  समाज, देश, और राष्ट्र मै जितने बाद विवाद है वो सब अहंकार के कारण से है। इसलिए अपने आपको, सरल, विन्रम और गुणवान बनाओ फिर देखो जीने का आनंद।

क्षमा फूल है कांटा नहीं, क्षमा प्यार है चांटा नहीं: उत्तम क्षमा

उत्तम मार्दव का अर्थ है-हाथ जोड कर जीना।

खुदा ऐसी खुदाई ना दे

 

कि अपने सिवाय कुछ दिखाई ना दे।

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