लूटना और पीटना भारत की परम्परा नहीं साधना महोदधि, उभयमासोपवासी, अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज

अहिंसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता अंतर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने राष्ट्रीय पर्व स्वतन्त्रता दिवस पर अपने विचार राष्ट्र के लिए समर्पित किये —
✨✨✨✨✨✨✨✨
स्वतंत्रता दिवस के साथ स्वतंत्रता के गुणों के भाव भी आना चाहिए, क्योंकि गुणों के बिना जीवन का विकास नहीं है। जीवों को निकट लाने का, जीवों को जोड़ने का, और जीवो के प्रति मैत्री भाव की स्थापना करने का अर्थात जोड़ने का स्वभाव हमें अपने जीवन में उपस्थित करना चाहिए। भारत गौरव अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने लिखते हुए व्यक्त किया कि हम भारतीय हैं, हम भारतवासी हैं। हमें स्वयं के भारतीय होने पर गौरव होना चाहिए, इसलिए नहीं कि, यह हमारी जन्मभूमि है, बल्कि इसलिए कि हम ऐसी संस्कृति के संवादक हैं जिसमें वसुदेव कुटुंबकम, विश्व मैत्री, विश्व प्रेम और विश्व बंधुत्व का संदेश दिया है।
हम उस संस्कृति के शांति दूत हैं जिसने मनुष्य को केवल अपने उद्धार की प्रेरणा नहीं दी, बल्कि सारे संसार के मंगल की कामना की है। आचार्य श्री ने आगे व्यक्त किया कि भारत का चिंतन बहुत विराट और उदात्त है। भारतीय नजरिया के नजारे का जादू दुनिया के सिर पर चढ़कर बोलता है। भारत सबका हितेषी है, किसी को लूटना और पीटना भारत की परंपरा नहीं है। भारत तो उस माँ की तरह है जो अपनी सभी संतानों को अपने खून से सींच – सींचकर और आँचल का दूध पिला – पिलाकर पालती और पोसती है और यही कारण है कि दुनिया ने भारत को माता कहा है। भारत माता दुनिया में सिर्फ भारत को ही कहा जाता है। लंदन माता है, अमेरिका माता है, जापान माता है, चीन माता है। ऐसा तुमने कहीं नहीं सुना होगा, ना ही कभी पढ़ा होगा। विश्व के मानचित्र पर सिर्फ भारत ही माता है l अंतर्मना ने अपनी लेखनी में लिखा कि भारत विश्व गुरु रहा है और मुझे यकीन है कि भारत एक बार पुनः विश्व गुरु बन कर उभरेगा, जिसकी ओर हमारे कदम बढ़ चुके हैं। अभी ओलंपिक में विश्व ने हमारे अस्तित्व को माना है, भारत ने आज तक के सभी रिकॉर्ड को तोड़कर पहली बार ओलंपिक में बहुत से पदक प्राप्त किए हैं और भी कई क्षेत्रों में विश्व की नजरें हमारे देश की ओर टिकी है। किसी ने ठीक ही कहा है कि भारत इसलिए विश्वगुरु नहीं कहा जाता कि इसने ऐसे कलाकारों, वैज्ञानिकों और खिलाड़ियों को जन्म दिया है, जिन्होंने ताजमहल का वैभव दिया, कुतुब मीनार का कीर्तिमान खड़ा किया, ओलंपिक में अपना नाम ऊंचा किया हो, बल्कि भारत को इतना ऊंचा दर्जा इसलिए हासिल है क्योंकि इसने विश्व को राम के रूप में मानव की मर्यादा और शौर्य प्रदान किया है, कृष्ण के रूप में उदात्त कर्म योग की शिक्षा दी है, तीर्थंकर महावीर के रूप में अहिंसा का अमृत प्रदान किया है, बुद्ध के रूप में करुणा की कोमलता दी है। भारत में आतंकवादी नहीं है, अनेकांतवादी रहते हैं। भारत सहिष्णु है, उदार है, भारत महान है।

मेरा भारत महान है…!!!
अंतर्मना

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जिनागम | धर्मसार