चितरी नगरी के 8 वे तथा परिवार के तीसरे धर्मरत्न लेंगे जैनेश्वरी दीक्षा

पाटीदार बहुल चितरी गांव में सर्व समाज के लोग आपसी सद्भाव से रहते हैं। यहां 44 घरों की जैन समाज व देवाधिदेव भगवान श्री चंद्रप्रभु स्वामी का महा अतिशयकारी विशाल जिनालय है।

यहां की समाज पर युगश्रेष्ठ आचार्य शिरोमणि तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मतिसागर जी यतिराज, गणधराचार्य श्री कुन्थू सागर जी,वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी,प्रज्ञायोगी आचार्य श्री गुप्तिनदी जी गुरुदेव का विशेष प्रभाव व संस्कार रहे हैं।

सन 1999 में प्रज्ञायोगी आचार्य श्री गुप्तीनंदी जी गुरुदेव व गणिनी आर्यिका राजश्री माताजी संघ का पावन वर्षायोग हुआ तब यहां के बच्चों बच्चों में धार्मिक संस्कारों की अदभुद नींव पड़ी।

जिसमें शाह राजेंद्र जी व शकुंतला देवी धर्म पारायण दंपत्ति का परिवार जिनके तीन संतान बड़ा बेटा दीपेश,बेटी अलका व छोटा बेटा कपिल आदि।
तब कपिल की मात्र 16 वर्ष की आयु,अलका की 20 वर्ष आयु थी

अलका दीदी की बचपन की सखियां रागिनी दीदी व संध्या दीदी के साथ साथ भाई कपिल सहित इन चार बच्चों में गुरुदेव व राजश्री माताजी के संस्कारों का अत्यंत प्रभाव पड़ा।

अलका सदैव अपने इन सखियों व भाई के साथ धार्मिक चर्चा एवं आचरणों में रत रहने लगी।

सन 2000 के अंत में नगर में उपाध्याय मुनि श्री मनोज्ञ सागर जी का आगमन हुआ जिनकी पावन प्रेरणा से 14 जनवरी 2001 को भगवान श्री चंद्रप्रभु जी के सामने पूज्य मुनि श्री के समक्ष आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया।
निकट गांव रामसौर में हुई नाव दुर्घटना में अपने प्रिय शिक्षक के निधन से ब्रह्म कपिल का मन वैरागी हो गया और उन्होंने आचार्य श्री गुप्तीनंदी जी गुरुदेव के पास जाकर सन 2003 में क्षुल्लक दीक्षा व सन 2009 में मुनि दीक्षा ग्रहण की जो आज आचार्य श्री चंद्रगुप्त जी गुरुदेव के रूप में विख्यात है।

इधर ब्रह्म अलका दीदी के प्रोत्साहन से ब्रह्म व्रत लेने वाली सखी बाल ब्रह्म रागिनी ने भी संसार की असारता को जानकर सन 2006 में अपनी ही जन्मभूमि पर आचार्य श्री सुविधिसागर जी से आर्यिका दीक्षा ग्रहण की जो आज आर्यिका श्री सुनिधिमति माताजी के रूप में जग पूज्य है।
इधर ब्रह्म अलका व ब्रह्म संध्या का स्वास्थ्य प्रतिकूल रहता था अतः ब्रह्म अलका दीदी गुजरात के श्रीमद राजचंद साधना केंद्र कोबा में गए जहां वे सदगुरु श्री आत्मानंद जी साहब की निश्रा में धर्म ध्यान के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयं सेविका संघ में प्रमुख होकर राष्ट्र सेवा भी करने लगी। और ब्रह्म संध्या दीदी की राजकीय शिक्षिका के पद पर नियुक्ति हुई जिससे वह शिक्षा सेवा,अपनी मातु श्री की सेवा के साथ धर्म ध्यान करती रही और वह भी साधना केंद्र कोबा में निरंतर जाती रही।

कोबा में इनको एक ओर सखी प्राप्त हुई जो थी बाल ब्रह्म जनक दीदी ये राजा भरत और राजा जनक की भांति “घर में वैरागी” की तरह अत्यंत निर्मल मना,शांत परिणामी व समता प्रेमी सखी थी।
ब्रह्म जनक दीदी गुजरात के छत्राल के उच्च क्षत्रिय कुल में जन्म लिया किंतु आप सदैव अलका दीदी की सगी बहन की तरह प्रतीत होती थी
ऐसा लगता है जैसे कि वे हमारे चितरी जैन समाज की ही बेटी हो।

इन वर्षों में वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुदेव से भी धर्म व आत्मानुशासन के प्रमुख सूत्र इन तीनों दीदियों को सदैव मिलते रहे।

इसी मध्य ब्रह्म अलका दीदी की आध्यात्मिक ओजस्विता से सेवक संघ के सुरेश भैया,कपिल भैया जैसे आध्यात्म प्रेमी धर्म मित्र मिले। वे भी कोबा के साधना केंद्र से जुड़कर पूर्णतया अध्यात्म की शरण में चले गए।

आप सभी ब्रह्म जन अनेक गुरुओं की संगति,निरंतर स्वाध्याय व भक्ति में रत रहते,श्री आत्मानंद जी साहेब ने आपको ज्ञान ध्यान मार्ग में खूब परिपक्व बनाया।

अलका दीदी के पूज्य पिताजी शाह राजेन्द्र जी जिनका स्वास्थ्य पिछले कुछ वर्षों (सन 2015) से अकुशल था किंतु समाधि मरण का भाव सदैव उन्नत था जिनकी उनके ज्येष्ठ सुपुत्र दीपेश शाह व बहु मीनाक्षी ने श्रवण कुमार की तरह खूब खूब सेवा की जो सब संतानों के लिए एक आदर्श मिसाल थी।

शाह राजेन्द्र जी ने सन 2023 में महाराष्ट्र के लासूर में आचार्य श्री चंद्रगुप्त जी गुरुदेव से क्रमशः क्षुल्लक व मुनि दीक्षा ग्रहण कर मुनि श्री चन्द्राभनंदी जी के रूप में आचार्य श्री के चरणों में उत्कृष्ट समाधि मरण प्राप्त किया

वहीं सन 2024 के जून माह में बाल ब्रह्म संध्या दीदी ने स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर अपनी मां ब्रह्म सुशीला देवी के साथ आचार्य श्री सुयशगुप्त जी गुरुदेव से जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर आर्यिका श्री ज्ञाननिधि माताजी व क्षुल्लिका श्री गुणनिधि माताजी के रूप में लोक पूज्य है।

अलका दीदी ने बचपन से अपने जिन जिन मित्रों को धर्म मार्ग में प्रोत्साहित किया वे सब संयम पथ पर आरूढ़ हो गए लेकिन जिसने इन सबमे सबसे पहले धर्म की नींव रखी वो अलका दीदी भी अब संयम पथ पर आरूढ़ होने को लालयित हो रही थी।

उन्होंने व सखी बाल ब्रह्म जनक दीदी ने नगर व परिवार गौरव प्रज्ञाश्रमण आचार्य श्री चंद्रगुप्त जी गुरुदेव से जैनेश्वरी दीक्षा हेतु निवेदन किया जिसे पूज्य गुरुवर ने स्वीकार कर दिनांक 1 फरवरी 2025 को सिद्धक्षेत्र गजपंथा जी के दीक्षा देने की घोषणा की।

हमे अत्यंत गौरव है कि चितरी नगर की होनहार,अत्यंत विद्वान,विदुषी व प्रतिभाशाली बाल ब्रह्म अलका दीदी,बाल ब्रह्म जनक दीदी सहित कुल 4 भव्यत्माओ की जैनेश्वरी दीक्षा नगर गौरव प्रज्ञाश्रमण आचार्य श्री चंद्रगुप्त जी गुरुदेव के कर कमलों से होने जा रही हैं।

आपके संयम पथ की अन्नत अनुमोदना

शब्द सुमन – शाह मधोक जैन चितरी

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