सागवाड़ा की पावन धरा अतिशय तीर्थ क्षेत्र योगेंद्रगिरी पर जैन धर्म के दो महान संत संघों का महामिलन

 

सागवाड़ा की पावन धरा अतिशय तीर्थ क्षेत्र योगेंद्रगिरी पर जैन धर्म के दो महान संत संघों का महामिलन

राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनील सागर जी गुरुदेव श्री संघ सहित सागवाड़ा के जैन संत भवन से योगेंद्रगिरी पर विराजमान वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुराज से मंगल मिलन व दर्शनाथ पधारे।

जहां पर आचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुदेव भी संघ सहित पर्वत के नीचे मुख्य सड़क तक आगंतुक श्री संघ के स्वागत हेतु गए।

जैसे ही आचार्य श्री सुनीलसागर जी नमोस्तु मुद्रा में वहां पहुंचे वैसे ही आचार्य श्री कनकननदी जी गुरुदेव ने प्रति नमोस्तु किया।

दोनों आचार्यों ने एक दूसरे को गले लगाकर आत्मीय अभिनदंन किया। और उपस्थित समस्त जन समूह ने द्वय गुरुओं पर पुष्प वृष्टि करते हुए धन्य किया।

द्वय आचार्य परमेष्ठि ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर योगेंद्रगिरी के आचार्य कक्ष में स्थापित जिनवाणी कोष का सविनय नमन वंदन किया। एवं आचार्य श्री कनकनंदी जी द्वारा रचित साहित्य का अवलोकन किया।

आचार्य श्री सुनील सागर जी ने कहा कि गुरुदेव आप ने 400 से अधिक साहित्यों की रचना की है,अनेक वैज्ञानिक व प्रोफेसर भी आपसे ज्ञानार्जन करते हैं,आप जीवंत विश्व विद्यालय हो वास्तव में तो आप जैसे संत को नोबल पुरस्कार जैसे अंतराष्ट्रीय और पद्म भूषण जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना चाहिए और मुझे आप जैसे चीर दीक्षित आचार्य के दर्शन से आज अत्यंत प्रसन्नता है।

आचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुदेव की आज्ञा से मुनि श्री सुविज्ञसागर जी गुरुदेव ने आगंतुक संत संघ के लिए स्वागतम् शुभ मंगलम काव्य पाठ किया।

योगेंद्रगिरी पर स्थित भगवान श्री मुनिसुव्रत नाथ जिनालय में दोनों आचार्य परमेष्ठि के सानिध्य में पंचामृत अभिषेक व शांतिधारा की गई,जिसका लाभ खोड़निया परिवार ने लिया।


अंत में आचार्य श्री सुनील सागर जी गुरुदेव श्री संघ के योगेंद्रगिरी से प्रस्थान में आचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुराज पुनः मुख्य सड़क तक उनके साथ आए जहां आचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुदेव ने वात्सल्यपूर्वक कहा कि मैं आपकी तीन दिन से प्रतीक्षा कर रहा था,आगे पुनः जब भी अवसर मिले तो निश्चित अच्छा समय निकालकर पधारना जिसमें दोनों संघों का सामूहिक स्वाध्याय,वार्ता व विस्तृत चर्चा हो।

दोनों श्री संघों के इस आत्मीय मिलन से जन जन अभिभूत हो उठा।

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सागवाड़ा की पावन धरा अतिशय तीर्थ क्षेत्र योगेंद्रगिरी पर जैन धर्म के दो महान संत संघों का महामिलन

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