अनुकम्पा ही मानवता की प्राण शक्ति
जैन भवन में अनुकम्पा ही मानवता की प्राण शक्ति के प्रवचन
मदनगंज-किशनगढ़।
वीर सागर स्मृति भवन (जैन भवन) में
आचार्य सुनील सागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मानवता की प्राण शक्ति का मूल स्त्रोत है अनुकम्पा। मानव सामाजिक प्राणी व समाज का अस्तित्व है। परस्पर के सहयोग का आधार अर्थात मानव हृदय की कोमलता अर्थात परस्पर के सुख-दुख में सहज संवेदना। उसी अनुभूति का दूसरा नाम है करूणा।
आचार्यश्री ने कहा कि जिसके अन्तर्मन में करूणा की धारा प्रवाहित नहीं हुई, वह मानव नहीं, पशु है। आज के मानव के तन-मन तथा बौद्धिक शक्तियों ने काफी विकास पाया है। किन्तु दुर्भाग्यवश हृदय में करूणा का शीतल झरना सूख गया है। उसकी जगह वहां एक भंयकर तप्त मरूस्थल ने ले ली है। पारस्परिक बैर-विरोध, घृणा-विद्वेष की धूल भरी ज्वलनशील और तूफानी आंधियां चल रही है। जिसके परिणाम स्वरूप हत्या, लूटमार, बलात्कार, भ्रष्टाचार का रावण राज्य स्थापित हो गया है। जिसमें मानव जाति के सर्व विनाश का भय उत्पन्न हो गया है। अब धरती पर सुख-शांति का जीवन स्वर्ग करूणा ही उतार सकती है। करूणा नहीं तो धरती नर्क है। मानव को मानव बने रहना है तन से नहीं मन से भी।
मानवता को जागृत बनाए रखना है तो भगवती करूणा का आश्रय लेना पड़ेगा। दु:खी हृदय के धूल उड़ते मरूस्थल में पुन: दया का परम अमृत झरना बहाना पड़ेगा। आत्मवत् सर्व भूतेषु… का नारा हमें कथनी के द्वारा नहीं, करनी के द्वारा गुंजाना होगा। इससे पूर्व कार्यक्रम में चित्रअनावरण,दीपप्रज्जवलन,
पादप्रक्षालन, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्रावक श्रेष्ठी प्रदीप कुमार पीयूष कुमार गंगवाल परिवार आसाम वाले, जयंतीलाल रमिला देवी राजावत परिवार उदयपुर एवं महेंद्र कुमार मयूर कुमार पाटनी परिवार सुजानगढ़ वाले को मिला प्रवचन के दौरान सैकड़ो लोग उपस्थित थे।
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