✍️कुमार अनेकान्त
चारों ओर मचा कोहराम ,
कोई किसी के न आता काम ।
कैसी विपदा आयी मानव पर,
न सुनता खुदा
न गॉड भगवान ।।1।।
किसकी गलती कौन सुधारे ?
अच्छे अच्छे परलोक सिधारे ।
सारा सिस्टम हो गया नाकाम ,
किसको दोष दें ?
अब सब बदनाम ।।2।।
अपने कर्मों को भोगें हम,
साथ नहीं अब कोई
हमदम ।
सुख में साथ सभी निभाते,
गम में अकेले रह गए हम ।।3।।
क्या हिन्दू मुस्लिम करते करते,
भूले हम मानवता महान ।
तुच्छ हल्की बातों में,
भूले अपना धर्म महान ।।4।।
क्षमा कर दें और माँग लें सभी से ,
कुछ नहीं ले जाएंगे हम ।
नाम यश पद पैसा प्रतिष्ठा ,
बस देखते रह जाएंगे हम ।।5।।
अकेले आये थे
वैसे ही जाना है ,
तत्त्व ये शाश्वत कब माना है ?
कब किसका नम्बर आ जाये ,
जल्दी भज लो आतमराम ।।6।।
होता जगत स्वयं परिणाम,
मैं जग का करता क्या काम ?
सबके मंगल की कामना करते,
हो रहा आत्मस्थ अब अनेकान्त ।।7।।