आज अश्विन शुक्ल पूर्णिमा बुधवार को श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र प्यावड़ी पीपलू में हर पूर्णिमा की भांति इस पूर्णिमा के दिन फिर चमत्कार हुआ। श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भक्ति भाव और समर्पण के साथ जोरदार जय जयकार से पूरा मंदिर परिसर गूंज गया। आज के प्रथम अभिषेक का सौभाग्य श्रेष्ठी श्री मति कृष्णबाला देवी इंद्रमल जी बाबूलाल जी प्रमोद कुमार जी पवन जी पलसा वाले गोयल परिवार लावा वालों को प्राप्त हुआ। इस बार तीन अतिशय एक साथ नगर आए पहला चमत्कार प्रथम अभिषेक करने से पहले भगवान का सूखे छन्ने से मार्जन किया गया तब एक चाँदी का सिक्का मूर्ति में से निकलकर वेदी पर गिरा दूसरा चमत्कार मार्जन वाले छन्ने को मार्जन करने के बाद में साफ़ और स्वच्छ बिना केसर के जल से भरी हुई झारी में डाला तो झारी के अंदर का पूरा जल केसर युक्त हो गया और छन्ने में केसर का गुच्छ देखने को मिला। तीसरा चमत्कार पाण्डुकशिला पर स्थित पद्मप्रभु भगवान की शांतिधारा की गई शांतिधारा की झारी में जल बिना केसर वाला था जो की भगवान की शांतिधारा के बाद पांडुकशिला में जाके केसरयुक्त हो रहा था और बाद में भगवान की नाभि से बहुत सारी केसर गुच्छ के रूप में निकली है।
वहाँ उपस्थित श्रद्धालुओं को झारी का जल दिखाया गया। इसके बादमूलनायक चन्द्रप्रभु भगवान की शांतिधारा का सौभाग्य श्रेष्ठी श्री विमलकुमार जी योगेन्द्र कुमार जी अवीश जी गोयल परिवार लावा को प्राप्त हुआ तथा पांडुकशीला पर भगवान पद्मप्रभु की शांतिधारा का सोभाग्य श्रेष्ठी श्री रतनलाल जी महावीरप्रसादजी राजेंद्र जी भागचंद जी शोभाग़मलजी गोयल मालपुरा को प्राप्त हुआ। सम्पूर्ण आयोजन का सफल संचालन विधानाचार्य पंडित मनोज कुमार जी शास्त्री के द्वारा बड़ी सूझ-बूझ एवं प्रमाण के साथ करवाया जा रहा था।
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन “पार्श्वमणि ” पत्रकार कोटा ने जानकारी देते हुवे बताया कि पिछले कई महीनों से अलग-अलग चमत्कार देखने को बाबा के दरबार में मिल रहा है यथा चांदी का सिक्का, सोने की सिक्के रूपी भामंडल एवं केसर प्राप्त हुआ। “बाबा द्वार हो गया चमत्कार नाभि से निकली केशर की धार” मेरे समाचार को भारत के कई प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता के साथ फ़ोटो सहित प्रकाशित किया था। जिसे पूरे भारतवर्ष में पढ़ा गया।