- 21/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
आचार्य परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंदजी महामुनि राज की द्वितीय पुण्यतिथि पर महामहोत्सव
21वीं सदी के महान आचार्य परम पूज्य श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंदजी महामुनि राज की द्वितीय पुण्यतिथि 22 सितंबर 2021 दिन बुधवार को है। उनकी समाधि दिवस के अवसर पर उनके शिष्य…
Read More- 20/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
दस लक्षण महापर्व समापन: 9वीं की छात्रा ने किया दस दिन का कठिन उपवास, गाजे बाजे और घोड़ो की बघ्घी में बैठा कर ले जाया गया मंदिर
आज दस लक्षण महापर्व समापन के अवसर पर दस दिन का कठिन उपवास करने वालो मे 13 वर्ष एवं कक्षा 9 की छात्रा कुमारी रिद्धी जैन को परिवार जनो के…
Read More- 19/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“उत्तम ब्रह्मचर्य – : ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है”
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “आत्मा ब्रह्म विविक्त बोध निलयो यत्तत्र चर्यं पर।स्वाङ्गासंग विवर्जितैक मनसस्तद् ब्रह्मचर्य मुने।।”शास्त्रों में कहा है कि – : ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ निर्मल ज्ञान…
Read More- 18/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
ताड़पत्रों पर सोने की स्याही से लिखा गया एक दुर्लभ ग्रंथ
ये चित्र पू १०५ श्री ऐलक पन्नालाल का है ।जो सरस्वती भवन झालरापाटन में लगा है ।इन्होंने समाज के लिये जो योगदान किया है , उसे भुलाया नहीं जा सकता…
Read More- 18/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
75 दिवसीय अखंड महा आराधना श्री चिंतामणि इष्ट सिद्धि महा विधान परम भक्ति पूर्वक परम आनंद और उत्साह पूर्वक संपन्न हो रहा है
श्री अतिशय क्षेत्र कचनेर जी में चिंतामणि बाबा के श्री चरणों में सबके आराध्य सभी की आस्था के केंद्र श्री चिंतामणि पारसनाथ भगवान की महा आराधना 75 दिवसीय अखंड महा…
Read More- 18/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
496 दिन सिंह निष्क्रीडित व्रत एवं 557 दिन मौन साधना
विशेष: ~ अंतर्मना की तप साधना ~ त्याग – मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी है। त्याग हमारे जीवन को श्रेष्ठ और सुंदर बनाता है। त्याग एक नैसर्गिक कर्तव्य है। श्वास…
Read More- 17/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
उत्तम त्याग” – “निज शुद्धात्म को ग्रहण करके बाह्य और आभ्यांतर परिग्रह की निवृत्ति ही उत्तम त्याग है।
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “णिव्वेगतियं भावइ मोहं चइऊण सव्वदव्वेसु,जो तस्स हवे च्चागो इदि भणिदं जिणवरिंदेहिं।।”“बारस अणुवेक्खा” की इस प्राकृत गाथा में त्याग की व्याख्या करते हुए लिखा है…
Read More- 15/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
शान्तिधारा पर आगम पृच्छा
🍁प्रश्न : एक बार शान्तिधारा पूर्ण हो जानेके बाद अभिषेक कर सकते हैं ? यदि हाँ, तो क्यों ? 🌻उत्तर :– इसका उत्तर सरल है ।शान्तिधारा श्रीजी की आराधना का…
Read More- 15/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
संजमणमेव संजम जो सो खलु हवइ समत्ताणुभाइ ।णिच्छयेण णियाणुभव ववहारेण पचेंदियणिरोहो ।।
संयमन ही संयम है जो निश्चित ही सम्यक्त्व का अनुभावी होता है । निश्चयनय से निजानुभव और व्यवहार से पंचेन्द्रिय निरोध संयम कहलाता है । संयमन को संयम कहते हैं…
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