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विशाल जयकुमार दोशी ने 78 गुंठे के प्लॉट में उसकी विक्रय जल्दी होने हेतु अग्नेय दिशा और दक्षिण दिशा में किया कामा सिंदूर का ट्रीटमेंट

सोमवार दिनांक 27 सितंबर 2021 को, श्री.विशाल जयकुमार दोशी. फलटण निवासी, इनके 78 गुंठे के प्लॉट मैं उसकी विक्रय जल्दी होने हेतु अग्नेय दिशा और दक्षिण दिशा में कामा सिंदूर…

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सिद्धक्षेत्र मंदारगिरि में बिहार के मुख्यमंत्री ने किया रोपवे का उद्घाटन

मंदारगिरी (बांका/बिहार) :- बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी की तप, ज्ञान एवं मोक्ष कल्याणक भूमि में दिनांक 21/09/2021 क्षमावाणी के पावन अवसर पर जैन धर्मावलंबियों को बिहार सरकार की ओर…

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32 निर्जल उपवासों की अनुमोदन हेतु पारणा महोत्सव में श्री सुनीलसागर युवासंघ भारत

आचार्य श्री चन्द्र सागर जी गुरुदेव के शुभ सानिध्य व राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज के शुभाशीष से श्रीमती रिया श्रेणीक भूता सन्तरामपुर ने 32 निर्जल उपवास…

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दस लक्षण महापर्व समापन: 9वीं की छात्रा ने किया दस दिन का कठिन उपवास, गाजे बाजे और घोड़ो की बघ्घी में बैठा कर ले जाया गया मंदिर

आज दस लक्षण महापर्व समापन के अवसर पर दस दिन का कठिन उपवास करने वालो मे 13 वर्ष एवं कक्षा 9 की छात्रा कुमारी रिद्धी जैन को परिवार जनो के…

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“उत्तम ब्रह्मचर्य – : ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है”

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “आत्मा ब्रह्म विविक्त बोध निलयो यत्तत्र चर्यं पर।स्वाङ्गासंग विवर्जितैक मनसस्तद् ब्रह्मचर्य मुने।।”शास्त्रों में कहा है कि – : ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ निर्मल ज्ञान…

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ताड़पत्रों पर सोने की स्याही से लिखा गया एक दुर्लभ ग्रंथ

ये चित्र पू १०५ श्री ऐलक पन्नालाल का है ।जो सरस्वती भवन झालरापाटन में लगा है ।इन्होंने समाज के लिये जो योगदान किया है , उसे भुलाया नहीं जा सकता…

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75 दिवसीय अखंड महा आराधना श्री चिंतामणि इष्ट सिद्धि महा विधान परम भक्ति पूर्वक परम आनंद और उत्साह पूर्वक संपन्न हो रहा है

श्री अतिशय क्षेत्र कचनेर जी में चिंतामणि बाबा के श्री चरणों में सबके आराध्य सभी की आस्था के केंद्र श्री चिंतामणि पारसनाथ भगवान की महा आराधना 75 दिवसीय अखंड महा…

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496 दिन सिंह निष्क्रीडित व्रत एवं 557 दिन मौन साधना

विशेष: ~ अंतर्मना की तप साधना ~ त्याग – मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी है। त्याग हमारे जीवन को श्रेष्ठ और सुंदर बनाता है। त्याग एक नैसर्गिक कर्तव्य है। श्वास…

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“उत्तम आकिञ्चन्य धर्म – : आत्मा के अलावा कुछ भी अपना नहीं है यही भावना और साधना “उत्तम आकिञ्चन्य” धर्म है”

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “परकिंचिवि मज्झ णत्थि भावणाकिंयण्‍हं गणहरेहिं ।अंतबहिगंथचागो अणासत्तो हवइ अप्पासयेण ।।”“दसधम्मसारो” पुस्तक में प्रो.अनेकान्त जैन ने प्राकृत गाथा में “उत्तम-आकिंचण्‍हं” की उत्तम व्याख्या की है…

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उत्तम त्याग” – “निज शुद्धात्म को ग्रहण करके बाह्य और आभ्यांतर परिग्रह की निवृत्ति ही उत्तम त्याग है।

डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “णिव्वेगतियं भावइ मोहं चइऊण सव्वदव्वेसु,जो तस्स हवे च्चागो इदि भणिदं जिणवरिंदेहिं।।”“बारस अणुवेक्खा” की इस प्राकृत गाथा में त्याग की व्याख्या करते हुए लिखा है…

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