अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर में बुधवार को आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने धर्मसभा काे संबाेधित करते हुए कहा कि धन कन कंचन राज सुख सभी सुलभ कर जान दुर्लभ है। संसार में एक जथारथ ज्ञान आत्मार्थियों संसार में बहुत सारे लोगों के पास धन है। खाने के लिए बहुत अनाज है, बहुत स्वर्ण है, बहुत सारे लोग राजा जैसे सुखों को प्राप्त हैं जो उपलब्ध है उसमें संतुष्ट हो गए जो प्राप्त है वह पर्याप्त है। अपने को जो प्राप्त हुआ है उसमें खुश होने के बजाय पड़ोसी की खुशी को देखकर स्वयं की लालसा के कारण दुखी हो जाते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि ज्ञान के अभाव में दुख के अलावा कुछ नहीं है। ज्ञानी सबसे दुर्लभ है एवं संसार में ज्ञानी हर हाल में खुश रहते हैं। प्रतिकूल परिस्थिति में से अनुकूलता ही निकालेंगे। हर समय ज्ञान के बल पर अपना स्वयं का निर्णय लेकर भव पार हो जाते हैं। अज्ञानी तो स्वयं का निर्णय ही नहीं कर पाते हैं लोगों के बातों में से उलझन ही बढ़ता है। एक कथानक आता है कि एक पिता पुत्र एक गधे के साथ यात्रा को निकले। प्रारंभ में दोनों ही गधे पर बैठे गांव वालों ने देखा तो कहा कि दोनों पिता-पुत्र गधे की जान लेंगे क्या। पिता-पुत्र ने सुना तो गधे से नीचे उतर गए। आगे के गांव वालों ने कहा कि क्या मूर्ख है यह दोनों…, गधा खाली चल रहा है और यह दोनों पैदल चल रहे हैं। दोनों ने गांव वालों की बात सुनी तो सोचा पिताजी को बैठा देते पिताजी को गधे पर बैठाकर पुत्र पैदल चलने लगा। आगे के गांव वालों ने कहा पिता तो गधे पर बैठा और पुत्र को पैदल चला रहा है। पिता ने सुना तो वह उतरकर पुत्र को बिठाया पुत्र को बिठाने के बाद स्वयं पैदल चल रहा था। अबकी बार गांव वालों ने कहा कि कैसा निर्लज्ज पुत्र है स्वयं जवान होकर भी गधे पर बैठा है और बुजुर्ग पिता को पैदल चला रहा है।
ज्ञानी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अनुकूलता ही निकालेंगे : आचार्य अंदेश्वर पार्श्वनाथ
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