द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण ने अर्जुन को क्‍या समझाया था

द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण, अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि,

हे पार्थ !

तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना, तो अर्जुन ने कहा, “हे प्रभु” सब कुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे ???

वासुदेव हंसते हुए बोले, हे पार्थ !

जो आप से नहीं होगा वह मैं करुंगा !

पार्थ ने कहा प्रभु ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता???

वासुदेव फिर हंसे और बोले, जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली का निशाना साधोगे, उस विचलित “पानी” को स्थिर तो “मैं” ही रखूंगा !!

कहने का तात्पर्य यह है कि

आप चाहे कितने ही निपुण क्यूँ ना हों,

कितने ही बुद्धिवान क्यूँ ना हों,

कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यूँ ना हों,

लेकिन आप

स्वंय हरेक परिस्थिति के ऊपर पूर्ण नियंत्रण नहीँ रख सकते ..

आप

सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो, लेकिन उसकी भी एक सीमा है,

और

जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभलता है उसी का नाम “ईश्वर” है …🏹

अतः करोना से बचने के लिए हमें अपने स्तर पर, सरकार द्वारा बताए गए करोना नियमों का पालन करना है तथा सोशल डिस्टेंसिंग द्वारा अपने आप को सुरक्षित रखना है तथा शेष जो अपने हाथ में नहीं है, उसे ईश्वर पर छोड़ देना है , वह सब ठीक करेंगे इसका दृढ़ विश्वास रखें,  सब का कल्याण होगा।🙏🌹🙏

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