- 14/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
लोगों का सिर्फ वक्त आता है, आपका दौर आयेगा…!!!
अन्तर्मना उवाच आखा तीज — डालो मुक्ति का बीज स्वयं कृतं कर्म यदात्मना परा फलं तदीयं लभते शुभा शुभम् अच्छे बुरे कर्म का फल जीव को स्वयं को भी भोगना…
Read More- 13/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
घर बहुत बड़े है, पर परिवार नहीं- अन्तर्मना उवाच
अन्तर्मना उवाच प्रभाव दमदार होने से बेहतर है दिलदार या उदार होनाघर बहुत बड़े है, पर परिवार नहीं।शिक्षा बहुत है, पर तमीज नहीं।दवाई बहुत महंगी है, पर आरोग्यता नहीं।मंगल ग्रह…
Read More- 12/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण ने अर्जुन को क्या समझाया था
द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण, अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि, हे पार्थ ! तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख…
Read More- 12/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
अन्तर्मना उवाच- आचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज
सुख, शांति, प्रेम और प्रसन्नता का अर्थ लड़ना झगड़ना नहीं है, बल्कि. उन बुराइयों से कुशलता पूर्वक दूर हो जाना, जिन बातों से सुख, शांति, प्रेम, प्रसन्नता कम हो रही…
Read More- 10/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
पूज्य मुनिवर श्री चंद्र गुप्तमुनी श्री जी की महिलाओं को समर्पित अनुपम रचना
जय जिनेंद्र पूज्य मुनिवर श्री चंद्र गुप्तमुनी श्री जी की महिलाओं को समर्पित पूज्य मुनिवर श्री चंद्र गुप्तमुनी श्री जी की महिलाओं को समर्पित अनुपम रचना। कोटिशः नमोस्तु जो नारी…
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