- 31/10/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
परमेष्ठी के जन्मोत्सव को अवतरण दिवस मानना कितना उचित ?
आजकल मुनिराजों, आचार्यों, भगवंतों के जन्म दिवस को अवतरण दिवस, जन्म जयंती आदि विभिन्न संज्ञाओं से पुकारा जा रहा है। जिस पर कुछ चर्चाएं भी चल रही हैं, कि हमें…
Read More- 01/10/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
कोरोना से साधू संतों को बचाने हेतु संगोष्ठी का आयोजन
रामदेव बाबा सहित अनेक आयुर्वेदाचार्य होंगे सम्मिलित कोरोना का संक्रमण पूरे देश में तेजी से बढ रहा है, ऐसे में जैन साधु भी दुर नहीं है, उन्हें भी इससे खतरा…
Read More- 29/09/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
जिन प्रभु का अतिशय
चोर कहीं भी ले जाए, प्रतिमा वापस मन्दिर जी में लौट आए दो से तीन बार चोरी हुई प्रतिमा को वापस मंदिर जी में गए चोर इस धरा पर कई…
Read More- 11/09/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
समाज हित में श्री समाज का ऐतिहासिक फैसला
हुमड़पुरम में खुलेगा कोविड आइसोलेशन सेंटर वरिष्ठ जनों की बैठक में हुआ फैसला श्री समाज के वरिष्ठजनों की बैठक समाज के अध्यक्ष दिनेश जी खोड़निया की अध्यक्षता में संपन्न हुई।…
Read More- 26/08/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
लोभ को त्यागकर मन की पवित्रता से नाता जोड़िए-मन निर्लोभी, तन निरोगी
उत्तम शौच धर्म ‘शुचेर्भाव: शौचम’ परिणामों की पवित्रता को शौच कहते हैं। यह परिणाम की पवित्रता अलोभ से आती है। क्षमा से क्रोध पर, मार्दव से मान पर, आर्जव…
Read More- 26/08/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
‘शौच पावन गंगा है, गंदा नाला नहीं, मोक्ष द्वार की चाबी है, अवरोधक ताला नहीं’
उत्तम शौच उत्तम शौच का अर्थ है, लोभ कषाय का नाश करना। जीवन लोभ या लालच से मलिन है और शौच धर्म से पवित्र होता है। शौच का अर्थ…
Read More- 25/08/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
‘मन की कुटिलता को जड़ से खत्म करता है उत्तम आर्जव धर्म’
‘ऋजोर्भाव: इति आर्जव: अर्थात आत्मा का स्वभाव ही सरल स्वभाव है इसलिए प्रत्येक प्राणी को सरल स्वभाव रखना चाहिए। आत्मा के स्वभाव को प्राप्त करने के लिए हमें मन-वचन-काय से…
Read More- 25/08/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
‘आर्जव सीधा बांस है उसकी टेड़ी जड़ नहीं’
#उत्तम आर्जव धर्म: जो न कुटिल चिंतन करता है न शरीर से कुटिलता करता है, न कुटिलत बोलता है और नहीं अपने दोषों को छिपाता है उसके आर्जव धर्म होता…
Read More- 24/08/2020
- By- जिनागम - धर्मसार
‘मार्दव द्वार है दीवार नहीं, मार्दव समर्पण है हार नहीं’
उत्तम मार्दव धर्म मृदुता का जो भाव है उसको मार्दव धर्म कहते हैं। अथवा मान का परिहार करना, अहंकार का त्याग करना ही मार्दव धर्म है। उत्तम जाति, कुल, ऐश्वर्य,…
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