- 18/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
496 दिन सिंह निष्क्रीडित व्रत एवं 557 दिन मौन साधना
विशेष: ~ अंतर्मना की तप साधना ~ त्याग – मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी है। त्याग हमारे जीवन को श्रेष्ठ और सुंदर बनाता है। त्याग एक नैसर्गिक कर्तव्य है। श्वास…
Read More- 18/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“उत्तम आकिञ्चन्य धर्म – : आत्मा के अलावा कुछ भी अपना नहीं है यही भावना और साधना “उत्तम आकिञ्चन्य” धर्म है”
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “परकिंचिवि मज्झ णत्थि भावणाकिंयण्हं गणहरेहिं ।अंतबहिगंथचागो अणासत्तो हवइ अप्पासयेण ।।”“दसधम्मसारो” पुस्तक में प्रो.अनेकान्त जैन ने प्राकृत गाथा में “उत्तम-आकिंचण्हं” की उत्तम व्याख्या की है…
Read More- 17/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
उत्तम त्याग” – “निज शुद्धात्म को ग्रहण करके बाह्य और आभ्यांतर परिग्रह की निवृत्ति ही उत्तम त्याग है।
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “णिव्वेगतियं भावइ मोहं चइऊण सव्वदव्वेसु,जो तस्स हवे च्चागो इदि भणिदं जिणवरिंदेहिं।।”“बारस अणुवेक्खा” की इस प्राकृत गाथा में त्याग की व्याख्या करते हुए लिखा है…
Read More- 15/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
शान्तिधारा पर आगम पृच्छा
🍁प्रश्न : एक बार शान्तिधारा पूर्ण हो जानेके बाद अभिषेक कर सकते हैं ? यदि हाँ, तो क्यों ? 🌻उत्तर :– इसका उत्तर सरल है ।शान्तिधारा श्रीजी की आराधना का…
Read More- 15/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
संजमणमेव संजम जो सो खलु हवइ समत्ताणुभाइ ।णिच्छयेण णियाणुभव ववहारेण पचेंदियणिरोहो ।।
संयमन ही संयम है जो निश्चित ही सम्यक्त्व का अनुभावी होता है । निश्चयनय से निजानुभव और व्यवहार से पंचेन्द्रिय निरोध संयम कहलाता है । संयमन को संयम कहते हैं…
Read More- 14/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“उत्तम सत्य” की साधना से परम सत्य का दिग्दर्शन होता है”
–डॉ.इन्दु जैन राष्ट्र गौरव,दिल्ली आत्मा के वास्तविक स्वरूप की अनुभूति करना ही उत्तम सत्य है।सत्य धर्म का मूल आधार है; सत्य की आवश्यकता गृहस्थ धर्म और साधु धर्म दोनों के…
Read More- 12/09/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
“कैंसर से भी ज़्यादा ख़तरनाक “मायाचारी की गाँठ” पनपने से रोकता है – उत्तम आर्जव धर्म “
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली “कपट न कीजे कोय, चोरन के पुर ना बसें।सरल-सुभावी होय, ताके घर बहु-संपदा।।”अर्थात् कभी भी किसी को छल-कपट नहीं करना चाहिए क्योंकि चोरों के…
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