- 12/05/2021
- By- जिनागम - धर्मसार
द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण ने अर्जुन को क्या समझाया था
द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण, अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि, हे पार्थ ! तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख…
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- By- जिनागम - धर्मसार
निस्पृहि सन्त आचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज के दृढ़ नियम व श्री समाज ने पेश की अनूठी मिसाल
🙏👏👇🙏👏👇🙏👏👇 निस्पृहि सन्त आचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज के दृढ़ नियम व श्री समाज ने पेश की अनूठी मिसाल पुनर्वास कॉलोनी सागवाडा का होनहार 19 वर्षीय युवा नमन सुपुत्र महिपाल…
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- By- जिनागम - धर्मसार
अन्तर्मना उवाच- आचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज
सुख, शांति, प्रेम और प्रसन्नता का अर्थ लड़ना झगड़ना नहीं है, बल्कि. उन बुराइयों से कुशलता पूर्वक दूर हो जाना, जिन बातों से सुख, शांति, प्रेम, प्रसन्नता कम हो रही…
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- By- जिनागम - धर्मसार
🌹जैन आगम शब्दकोश भाग-104
🔅आत्ममुख (हेत्वाभास) A fallacy in expressing self. स्ववचन बाधित। जैसे मेरी मां बाँझ है। 🍹आत्मयज्ञ A supreme sacrificial act of purifying soul. क्रोधाग्रि,कामाग्रि और उदराग्रि का वैराग्य और अनशन की…
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- By- जिनागम - धर्मसार
दिवंगत जैन मुनि तरुण सागर जी द्वारा रचित कविता “आदमी की औकात”
फिर घमंड कैसा घी का एक लोटा, लकड़ियों का ढेर, कुछ मिनटों में राख….. बस इतनी-सी है आदमी की औकात !!!! एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया, अपनी…
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- By- जिनागम - धर्मसार
जन-जन का आत्मबल ऐसे करें मजबूत
🙏👇🙏👇🙏👇🙏👇🙏👇 आपदा के इस काल मे स्वाध्याय के साथ साथ जैन आध्यात्मिक रिद्धि मंत्रो द्वारा जन जन के आत्मबल को मजबूती दे रहे है पूज्यवर आचार्य श्री वैराग्यनन्दी जी गुरुदेव…
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- By- जिनागम - धर्मसार
वंश का अंश परमहंस ही बने यह जरूरी नहीं- (आचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज)
निमियाघाट-(झारखंड). अहिंसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता साधना महोदधि भारत गौरव उभय मासोपासी आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने निमियाघाट के सहस्त्र वर्ष पुरानी भगवान पारसनाथ की वरदानी छांव तले विश्व…
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- By- जिनागम - धर्मसार
पूज्य मुनिवर श्री चंद्र गुप्तमुनी श्री जी की महिलाओं को समर्पित अनुपम रचना
जय जिनेंद्र पूज्य मुनिवर श्री चंद्र गुप्तमुनी श्री जी की महिलाओं को समर्पित पूज्य मुनिवर श्री चंद्र गुप्तमुनी श्री जी की महिलाओं को समर्पित अनुपम रचना। कोटिशः नमोस्तु जो नारी…
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